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सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1461
ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः देवता - सरस्वती छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम -
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उ꣣त꣡ नः꣢ प्रि꣣या꣢ प्रि꣣या꣡सु꣢ स꣣प्त꣡स्व꣢सा꣣ सु꣡जु꣢ष्टा । स꣡र꣢स्वती꣣ स्तो꣡म्या꣢ भूत् ॥१४६१॥

स्वर सहित पद पाठ

उ꣣त꣢ । नः꣢ । प्रिया꣢ । प्रि꣣या꣡सु꣢ । स꣣प्त꣡स्व꣢सा । स꣣प्त꣢ । स्व꣣सा । सु꣡जु꣢꣯ष्टा । सु । जु꣣ष्टा । स꣡र꣢꣯स्वती । स्तो꣡म्या꣢꣯ । भू꣣त् ॥१४६१॥


स्वर रहित मन्त्र

उत नः प्रिया प्रियासु सप्तस्वसा सुजुष्टा । सरस्वती स्तोम्या भूत् ॥१४६१॥


स्वर रहित पद पाठ

उत । नः । प्रिया । प्रियासु । सप्तस्वसा । सप्त । स्वसा । सुजुष्टा । सु । जुष्टा । सरस्वती । स्तोम्या । भूत् ॥१४६१॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1461
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 13; खण्ड » 4; सूक्त » 2; मन्त्र » 1
Acknowledgment

Meaning -
And may Sarasvati, dynamic stream of light, knowledge and speech, dearest among seven lovely sister streams of knowledge, word, and mind and senses, loving and blissful, be adorable and remain favourable. (Rg. 6-61-10)

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