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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1490
ऋषिः - प्रियमेध आङ्गिरसः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
3
आ꣡ ह꣢꣯रयः ससृज्रि꣣रे꣡ऽरु꣢षी꣣र꣡धि꣢ ब꣣र्हि꣡षि꣢ । य꣢त्रा꣣भि꣢ सं꣣न꣡वा꣢महे ॥१४९०॥
स्वर सहित पद पाठआ꣢ । ह꣡र꣢꣯यः । स꣣सृज्रिरे । अ꣡रु꣢꣯षीः । अ꣡धि꣢꣯ । ब꣣र्हि꣡षि꣢ । य꣡त्र꣢꣯ । अ꣣भि꣢ । सं꣣न꣡वा꣢महे । स꣣म् । न꣡वा꣢꣯महे ॥१४९०॥
स्वर रहित मन्त्र
आ हरयः ससृज्रिरेऽरुषीरधि बर्हिषि । यत्राभि संनवामहे ॥१४९०॥
स्वर रहित पद पाठ
आ । हरयः । ससृज्रिरे । अरुषीः । अधि । बर्हिषि । यत्र । अभि । संनवामहे । सम् । नवामहे ॥१४९०॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1490
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 7; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 14; खण्ड » 1; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 7; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 14; खण्ड » 1; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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Meaning -
Let the vibrations of divinity, like crimson rays of dawn which bring the sun to the earth, bring Indra onto our sacred grass where we humans meet and pray and celebrate the lord in song together. (Rg. 8-69-5)