Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 783
ऋषिः - कश्यपो मारीचः
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
5
अ꣢श्वो꣣ न꣡ च꣢क्रदो꣣ वृ꣢षा꣣ सं꣡ गा इ꣢꣯न्दो꣣ स꣡मर्व꣢꣯तः । वि꣡ नो꣢ रा꣣ये꣡ दुरो꣢꣯ वृधि ॥७८३॥
स्वर सहित पद पाठअ꣡श्वः꣢꣯ । न । च꣣क्रदः । वृ꣡षा꣢꣯ । सम् । गाः । इ꣣न्दो । स꣢म् । अ꣡र्व꣢꣯तः । वि । नः꣣ । राये꣢ । दु꣡रः꣢꣯ । वृ꣣धि ॥७८३॥
स्वर रहित मन्त्र
अश्वो न चक्रदो वृषा सं गा इन्दो समर्वतः । वि नो राये दुरो वृधि ॥७८३॥
स्वर रहित पद पाठ
अश्वः । न । चक्रदः । वृषा । सम् । गाः । इन्दो । सम् । अर्वतः । वि । नः । राये । दुरः । वृधि ॥७८३॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 783
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 3; खण्ड » 1; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 3; खण्ड » 1; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
Acknowledgment
Meaning -
Like the roar of thunder you are loud and bold in manifestation in existence. O dynamic presence of infinite light and generous flow of energy, you pervade and energise our perceptions and our will for action and advancement. Pray open and widen the doors of wealth, honour and excellence for us all. (Rg. 9-64-3)