Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 834
ऋषिः - भृगुर्वारुणिर्जमदग्निर्भार्गवो वा
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
3
आ꣡ नः꣢ सोम꣣ स꣢हो꣣ जु꣡वो꣢ रू꣣पं꣡ न वर्च꣢꣯से भर । सु꣣ष्वाणो꣢ दे꣣व꣡वी꣢तये ॥८३४॥
स्वर सहित पद पाठआ꣡ । नः꣣ । सोम । स꣡हः꣢꣯ । जु꣡वः꣢꣯ । रू꣣प꣢म् । न । व꣡र्च꣢꣯से । भ꣣र । सुष्वाणः꣢ । दे꣣व꣡वी꣣तये । दे꣣व꣡ । वी꣣तये ॥८३४॥
स्वर रहित मन्त्र
आ नः सोम सहो जुवो रूपं न वर्चसे भर । सुष्वाणो देववीतये ॥८३४॥
स्वर रहित पद पाठ
आ । नः । सोम । सहः । जुवः । रूपम् । न । वर्चसे । भर । सुष्वाणः । देववीतये । देव । वीतये ॥८३४॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 834
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 4; खण्ड » 1; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 4; खण्ड » 1; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
Acknowledgment
Meaning -
Soma, lord of vital creativity and lustrous vigour, and fluent power and progressive energy, bring us the courage of constancy, forbearance, vibrant vigour and enthusiasm, and an impressive personality for the sake of illuminative lustre of life so that we may follow the path of divinity while living here and after. (Rg. 9-65-18)