Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1840
वा꣢त꣣ आ꣡ वा꣢तु भेष꣣ज꣢ꣳ श꣣म्भु꣡ म꣢यो꣣भु꣡ नो꣢ हृ꣣दे꣢ । प्र꣢ न꣣ आ꣡यू꣢ꣳषि तारिषत् ॥१८४०॥
स्वर सहित पद पाठवा꣡तः꣢꣯ । आ । वा꣣तु । भेष꣢जम् । श꣣म्भु꣢ । श꣣म् । भु꣢ । म꣣योभु꣢ । म꣣यः । भु꣢ । नः꣣ । हृदे꣢ । प्र । नः꣣ । आ꣡यू꣢꣯ꣳषि । ता꣣रिषत् ॥१८४०॥
स्वर रहित मन्त्र
वात आ वातु भेषजꣳ शम्भु मयोभु नो हृदे । प्र न आयूꣳषि तारिषत् ॥१८४०॥
स्वर रहित पद पाठ
वातः । आ । वातु । भेषजम् । शम्भु । शम् । भु । मयोभु । मयः । भु । नः । हृदे । प्र । नः । आयूꣳषि । तारिषत् ॥१८४०॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1840
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 9; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 11; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 20; खण्ड » 7; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 9; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 11; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 20; खण्ड » 7; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
Meaning -
May the sing arrange for the blowing of medicinal air, that may brings health to our body and delight to our heart. May he prolong our days of life.
Translator Comment -
Set verse 184. The King should prevent the pollution of air, and make arrangements for keeping it pure, so that his subjects be physically healthy, mentally sound and able to live long.