Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 175 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 175/ मन्त्र 1
    ऋषिः - ऊर्ध्वग्रावार्बुदः देवता - ग्रावाणः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    प्र वो॑ ग्रावाणः सवि॒ता दे॒वः सु॑वतु॒ धर्म॑णा । धू॒र्षु यु॑ज्यध्वं सुनु॒त ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्र । वः॒ । ग्रा॒वा॒णः॒ । स॒वि॒ता । दे॒वः । सु॒व॒तु॒ । धर्म॑णा । धूः॒ऽसु । यु॒ज्य॒ध्व॒म् । सु॒नु॒त ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्र वो ग्रावाणः सविता देवः सुवतु धर्मणा । धूर्षु युज्यध्वं सुनुत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्र । वः । ग्रावाणः । सविता । देवः । सुवतु । धर्मणा । धूःऽसु । युज्यध्वम् । सुनुत ॥ १०.१७५.१

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 175; मन्त्र » 1
    अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 33; मन्त्र » 1

    भावार्थ - राजाच्या आदेशानुसार प्रत्येक विषय किंवा प्रत्येक क्षेत्राचे विद्वान आपल्या विभागात ठीक-ठीक विभागावे व राष्ट्राला ऐश्वर्यवान बनवावे. ॥१॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top