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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 456
ऋषिः - वसिष्ठो मैत्रावरुणिः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - एकपदा गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम - ऐन्द्रं काण्डम्
1
इ꣢न्द्रो꣣ वि꣡श्व꣢स्य राजति ॥४५६॥
स्वर सहित पद पाठइ꣡न्द्रः꣢꣯ । वि꣡श्व꣢꣯स्य । रा꣣जति ॥४५६॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रो विश्वस्य राजति ॥४५६॥
स्वर रहित पद पाठ
इन्द्रः । विश्वस्य । राजति ॥४५६॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 456
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 5; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 2; मन्त्र » 10
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 4; खण्ड » 11;
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(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 5; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 2; मन्त्र » 10
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 4; खण्ड » 11;
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Mazmoon - جگت کا راجہ پرمیشور
Lafzi Maana -
بجلی کی طرح سب کو چمک دار روشنی دینے والا اِندر ہی سارے جگت کا راجہ ہے، ایسا جان کر اُس کی عبادت اور اُس کا حکم فرضِ اوّل ماننا چاہیئے۔
Tashree -
ساری دُنیا پر تسلّط چھایا پیارے اِندر کا، سب جگت کا راجہ ہے ہم حکم مانیں اِندر کا۔
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