अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 129/ मन्त्र 17
अजा॑गार॒ केवि॒का ॥
स्वर सहित पद पाठअजा॑गार॒ । केवि॒का ॥१२९.१७॥
स्वर रहित मन्त्र
अजागार केविका ॥
स्वर रहित पद पाठअजागार । केविका ॥१२९.१७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 129; मन्त्र » 17
Translation -
The intelligence serving all rests always at vigil.