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  • यजुर्वेद - अध्याय 18/ मन्त्र 8
    ऋषिः - देवा ऋषयः देवता - आत्मा देवता छन्दः - स्वराट् शक्वरी स्वरः - धैवतः
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    शं च॑ मे॒ मय॑श्च मे प्रि॒यं च॑ मेऽनुका॒मश्च॑ मे॒ काम॑श्च मे सौमन॒सश्च॑ मे॒ भग॑श्च मे॒ द्रवि॑णं च मे भ॒द्रं च॑ मे॒ श्रेय॑श्च मे॒ वसी॑यश्च मे॒ यश॑श्च मे य॒ज्ञेन॑ कल्पन्ताम्॥८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शम्। च॒। मे॒। मयः॑। च॒। मे॒। प्रि॒यम्। च॒। मे॒। अ॒नु॒का॒म इत्य॑नुऽका॒मः। च॒। मे॒। कामः॑। च॒। मे॒। सौ॒म॒न॒सः। च॒। मे॒। भगः॑। च॒। मे॒। द्रवि॑णम्। च॒। मे॒। भ॒द्रम्। च॒। मे॒। श्रेयः॑। च॒। मे॒। वसी॑यः। च॒। मे॒। यशः॑। च॒। मे॒। य॒ज्ञेन॑। क॒ल्प॒न्ता॒म् ॥८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शञ्च मे मयश्च मे प्रियञ्च मे नुकामश्च मे कामश्च मे सौमनसश्च मे भगश्च मे द्रविणञ्च मे भद्रञ्च मे श्रेयश्च मे वसीयश्च मे यशश्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    शम्। च। मे। मयः। च। मे। प्रियम्। च। मे। अनुकाम इत्यनुऽकामः। च। मे। कामः। च। मे। सौमनसः। च। मे। भगः। च। मे। द्रविणम्। च। मे। भद्रम्। च। मे। श्रेयः। च। मे। वसीयः। च। मे। यशः। च। मे। यज्ञेन। कल्पन्ताम्॥८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 18; मन्त्र » 8
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–(মে) আমার (শম্) সর্বসুখ (চ) এবং সুখের সব সামগ্রী (মে) আমার (ময়ঃ) প্রত্যক্ষ আনন্দ (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (প্রিয়ম্) প্রিয় (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (অনুকামঃ) ধর্মানুকূল কামনা (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (কামঃ) কর্ম অর্থাৎ যদ্দ্বারা বা যন্মধ্যে কামনা করিবে (চ) তথা (মে) আমার (সৌমনসঃ) চিত্তের উত্তম হওয়া (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (ভগঃ) ঐশ্বর্য্য সমূহ (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (দ্রবিণম্) বল (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (ভদ্রম্) অতি আনন্দ প্রদান করিবার যোগ্য সুখ (চ) এবং সুখের সাধন (মে) আমার (শ্রেয়ঃ) মুক্তি সুখ (চ) এবং ইহার সাধন (মে) আমার (বসীয়ঃ) অতিশয় করিয়া বাসকারী (চ) এবং ইহার সামগ্রী (ম) আমার (য়শঃ) কীর্ত্তি (চ) এবং ইহার সাধন (য়জ্ঞেন) সুখের সিদ্ধিকারী ঈশ্বর দ্বারা (কল্পন্তাম) সমর্থ হউক ॥ ৮ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–মনুষ্যদিগের উচিত যে, যে কর্ম দ্বারা সুখাদির বৃদ্ধি হয় সেই কর্মের নিরন্তর সেবন করিবে ॥ ৮ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - শং চ॑ মে॒ ময়॑শ্চ মে প্রি॒য়ং চ॑ মেऽনুকা॒মশ্চ॑ মে॒ কাম॑শ্চ মে সৌমন॒সশ্চ॑ মে॒ ভগ॑শ্চ মে॒ দ্রবি॑ণং চ মে ভ॒দ্রং চ॑ মে॒ শ্রেয়॑শ্চ মে॒ বসী॑য়শ্চ মে॒ য়শ॑শ্চ মে য়॒জ্ঞেন॑ কল্পন্তাম্ ॥ ৮ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - শং চেত্যস্য দেবা ঋষয়ঃ । আত্মা দেবতা । স্বরাট্ শক্বরী ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

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