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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 143 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 143/ मन्त्र 6
    ऋषिः - अत्रिः साङ्ख्यः देवता - अश्विनौ छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    आ वां॑ सु॒म्नैः शं॒यू इ॑व॒ मंहि॑ष्ठा॒ विश्व॑वेदसा । सम॒स्मे भू॑षतं न॒रोत्सं॒ न पि॒प्युषी॒रिष॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । वा॒म् । सु॒म्नैः । शं॒यूइ॒वेति॑ शं॒यूऽइ॑व । मंहि॑ष्ठा । विश्व॑ऽवेदसा । सम् । अ॒स्मे इति॑ । भू॒ष॒त॒म् । न॒रा॒ । उत्स॑म् । न । पि॒प्युषीः॑ । इषः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ वां सुम्नैः शंयू इव मंहिष्ठा विश्ववेदसा । समस्मे भूषतं नरोत्सं न पिप्युषीरिष: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ । वाम् । सुम्नैः । शंयूइवेति शंयूऽइव । मंहिष्ठा । विश्वऽवेदसा । सम् । अस्मे इति । भूषतम् । नरा । उत्सम् । न । पिप्युषीः । इषः ॥ १०.१४३.६

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 143; मन्त्र » 6
    अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 1; मन्त्र » 6

    पदार्थ -
    [१] हे प्राणापानो! (वाम्) = आप (सुम्नै) = सुखों से (शंयू इव) = हमारे साथ शान्ति को युक्त करनेवाले हो । आप (मंहिष्ठा) = हमारे लिये दातृतम हो । अधिक से अधिक शक्तियों के देनेवाले हो । (विश्ववेदसा) = सम्पूर्ण धनोंवाले हो । प्राणापान सब कोशों को ऐश्वर्य सम्पन्न करते हैं । [२] (नरा) = हमारा नेतृत्व करनेवाले, हमें आगे ले चलनेवाले प्राणापानो! (अस्मे) = हमारे लिये (उत्सं न) = स्रोत के समान (पिप्युषीः इषः) = आप्यायित करनेवाले अन्नों को (सं भूषतम्) = सम्यक् अलंकृत करो। जैसे स्रोत से, चश्मे से उत्तम जलधारा का प्रवाह होता है इसी प्रकार प्राणापान के द्वारा अन्नों का ठीक प्रकार पाचन होकर रस- रुधिर आदि धातुओं का उचित प्रवाह होता है। वैश्वानर अग्नि [ जाठराग्नि] प्राणापान से युक्त होकर भोजन का ठीक पाचन करती है । तभी उस मुक्त अन्न से रस आदि का ठीक प्रवाह होता है ।

    भावार्थ - भावार्थ - प्राणापान भोजन का ठीक परिपाक करके हमें सुख व शान्ति प्राप्त कराते हैं। सम्पूर्ण सूक्त प्राणापान की साधना के महत्त्व को प्रतिपादित कर रहा है। इससे शरीर, मन व बुद्धि तीनों ही ठीक बनते हैं। इन तीनों का ठीक बनानेवाला 'सुपर्ण' कहलाता है, उत्तमता से पालन करनेवाला । यह गतिशील होने से 'तार्क्ष्य' कहलाता है। संयमी होने से 'यामायन' है तथा वीर्य की ऊर्ध्वगतिवाला 'ऊर्ध्वकृशन' [ऊर्ध्वरेता] बनता है। यह 'वीर्य' के महत्त्व को प्रतिपादित करता हुआ कहता है-

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