ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 165/ मन्त्र 1
ऋषिः - कपोतो नैर्ऋतः
देवता - कपोतापहतौप्रायश्चित्तं वैश्वदेवम्
छन्दः - स्वराट्त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
देवा॑: क॒पोत॑ इषि॒तो यदि॒च्छन्दू॒तो निॠ॑त्या इ॒दमा॑ज॒गाम॑ । तस्मा॑ अर्चाम कृ॒णवा॑म॒ निष्कृ॑तिं॒ शं नो॑ अस्तु द्वि॒पदे॒ शं चतु॑ष्पदे ॥
स्वर सहित पद पाठदेवाः॑ । क॒पोतः॑ । इ॒षि॒तः । यत् । इ॒च्छन् । दू॒तः । निःऽऋ॑त्याः । इ॒दम् । आ॒ऽज॒गाम॑ । तस्मै॑ । अ॒र्चा॒म॒ । कृ॒णवा॑म । निःऽकृ॑तिम् । शम् । नः॒ । अ॒स्तु॒ । द्वि॒ऽपदे॑ । शम् । चतुः॑ऽपदे ॥
स्वर रहित मन्त्र
देवा: कपोत इषितो यदिच्छन्दूतो निॠत्या इदमाजगाम । तस्मा अर्चाम कृणवाम निष्कृतिं शं नो अस्तु द्विपदे शं चतुष्पदे ॥
स्वर रहित पद पाठदेवाः । कपोतः । इषितः । यत् । इच्छन् । दूतः । निःऽऋत्याः । इदम् । आऽजगाम । तस्मै । अर्चाम । कृणवाम । निःऽकृतिम् । शम् । नः । अस्तु । द्विऽपदे । शम् । चतुःऽपदे ॥ १०.१६५.१
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 165; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 23; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 23; मन्त्र » 1
विषय - ब्रह्मनिष्ठ पुरुष का समादर
पदार्थ -
[१] 'क-पोत' वह व्यक्ति है जो कि ब्रह्म को अपना आधार बनाकर चलता है, यही उपनिषदों में 'ब्रह्मनिष्ठ' कहा गया है। प्रभु से प्रेरणा को प्राप्त करनेवाला यह 'इषित' कहा गया है । (देवा:) = हे देवो, देववृत्ति के पुरुषो! (कपोतः) = यह ब्रह्मनिष्ठ, (इषितः) = अन्तः स्थित प्रभु से प्रेरणा को प्राप्त करनेवाला (यत्) = जब (इच्छन्) = हमारे लिये प्रकाश को प्राप्त करने की इच्छा करता हुआ, (निरृत्वाः) = निरृति का, दुराचरण का (दूतः) = संतप्त करनेवाला, अपने प्रचार से अशुभ वृत्तियों को विनष्ट करनेवाला (इदम्) = इस स्थान में (आजगाम) = आया है। [२] (तस्मा) = उसके लिये (अर्चाम) = हम अर्चन ( पूजन) को करें, उसका उचित आदर करें। (निष्कृतिम्) = पापाचरण के बहिष्कार को (कृणवाम) = करें । वस्तुतः 'तदुपदिष्ट मार्ग से चलते हुए, पापों को न करना' ही उसका उचित समादर है। ऐसा करने से (नः) = हमारे (द्विपदे) = सब मनुष्यों के लिये (शम्) = शान्ति (अस्तु) = हो और (चतुष्पदे) = हमारे चार पाँवोंवाले पशुओं के लिये भी शान्ति हो । निष्पापता के होने पर सारा वातावरण शान्त होता है, सब पशु-पक्षियों का कल्याण होता है ।
भावार्थ - भावार्थ- हमें समय-समय पर ब्रह्मनिष्ठ ज्ञानी पुरुष प्राप्त हों। उनकी प्रेरणा से निष्पाप होकर हम अपने वातावरण को शान्त बना पायें ।
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