साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 167/ मन्त्र 1
ऋषिः - विश्वामित्रजमदग्नी
देवता - इन्द्र:
छन्दः - स्वराडार्चीजगती
स्वरः - निषादः
तुभ्ये॒दमि॑न्द्र॒ परि॑ षिच्यते॒ मधु॒ त्वं सु॒तस्य॑ क॒लश॑स्य राजसि । त्वं र॒यिं पु॑रु॒वीरा॑मु नस्कृधि॒ त्वं तप॑: परि॒तप्या॑जय॒: स्व॑: ॥
स्वर सहित पद पाठतुभ्य॑ । इ॒दम् । इ॒न्द्र॒ । परि॑ । सि॒च्य॒ते॒ । मधु॑ । त्वम् । सु॒तस्य॑ । क॒लश॑स्य । रा॒ज॒सि॒ । त्वम् । र॒यिम् । पु॒रु॒ऽवीरा॑म् । ऊँ॒ इति॑ । नः॒ । कृ॒धि॒ । त्वम् । तपः॑ । प॒रि॒ऽतप्य॑ । अ॒ज॒यः॒ । स्वरिति॑ स्वः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
तुभ्येदमिन्द्र परि षिच्यते मधु त्वं सुतस्य कलशस्य राजसि । त्वं रयिं पुरुवीरामु नस्कृधि त्वं तप: परितप्याजय: स्व: ॥
स्वर रहित पद पाठतुभ्य । इदम् । इन्द्र । परि । सिच्यते । मधु । त्वम् । सुतस्य । कलशस्य । राजसि । त्वम् । रयिम् । पुरुऽवीराम् । ऊँ इति । नः । कृधि । त्वम् । तपः । परिऽतप्य । अजयः । स्व१रिति स्वः ॥ १०.१६७.१
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 167; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 25; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 25; मन्त्र » 1
विषय - तप द्वारा प्रकाश की प्राप्ति
पदार्थ -
[१] हे (इन्द्र) = जितेन्द्रिय पुरुष ! (तुभ्य) = तेरे लिये, तेरे जीवन के सुन्दर निर्माण के लिये, (इदं मधु) = यह मधु-भोजन का सारभूत सोम (परिषिच्यते) = शरीर में सर्वत्र सींचा जाता है । सोम-वीर्य ही मधु है। जीवन को यह मधुर बनानेवाला है। (त्वम्) = तू (सुतस्य) = इस उत्पन्न हुए हुए (कलशस्य) = ' कलाः शेरतेऽस्मिन्' सब प्राण आदि कलाओं के आधारभूत सोम का राजसि राजा होता है। इस सोम का तू मालिक बनता है । [२] (त्वम्) = तू (नः) = हमारी प्राप्ति के लिये, प्रभु प्राप्ति के लिये (रयिम्) = धन को (उ) = निश्चय से (पुरुवीराम्) = पालक व पूरक वीरतावाला (कृधि) = कर । यदि मनुष्य धन में आसक्त हो जाता है तो यह धन उसके विलास व विनाश का कारण बनता है । अनासक्ति के साथ धन शरीर में रोगों को नहीं आने देता, मन में न्यूनताओं को नहीं आने देता। [३] (त्वम्) = तू (तपः परितप्य) = तप को करके (स्वः अजयः) = प्रकाश को जीतनेवाला बन । तपस्या से मलिनता का विनाश होकर बुद्धि का दीपन होता है। इस दीप्त बुद्धि से हमारा ज्ञान का प्रकाश बढ़ता है।
भावार्थ - भावार्थ- हम सोम के रक्षण के द्वारा जीवन को मधुर बनायें। शरीर में सब कलाओं का पूरण करें। धन में आसक्त न होकर तपस्वी बनते हुए हम प्रकाश को प्राप्त करें।
इस भाष्य को एडिट करें