ऋग्वेद - मण्डल 3/ सूक्त 31/ मन्त्र 1
ऋषिः - गाथिनो विश्वामित्रः, ऐषीरथीः कुशिको वा
देवता - इन्द्र:
छन्दः - विराट्पङ्क्ति
स्वरः - पञ्चमः
शास॒द्वह्नि॑र्दुहि॒तुर्न॒प्त्यं॑ गाद्वि॒द्वाँ ऋ॒तस्य॒ दीधि॑तिं सप॒र्यन्। पि॒ता यत्र॑ दुहि॒तुः सेक॑मृ॒ञ्जन्त्सं श॒ग्म्ये॑न॒ मन॑सा दध॒न्वे॥
स्वर सहित पद पाठशास॑त् । वह्निः॑ । दु॒हि॒तुः । न॒प्त्य॑म् । गा॒त् । वि॒द्वान् । ऋ॒तस्य॑ । दीधि॑तिम् । स॒प॒र्यन् । पि॒ता । यत्र॑ । दु॒हि॒तुः । सेक॑म् । ऋ॒ञ्जन् । सम् । श॒ग्म्ये॑न । मन॑सा । द॒ध॒न्वे ॥
स्वर रहित मन्त्र
शासद्वह्निर्दुहितुर्नप्त्यं गाद्विद्वाँ ऋतस्य दीधितिं सपर्यन्। पिता यत्र दुहितुः सेकमृञ्जन्त्सं शग्म्येन मनसा दधन्वे॥
स्वर रहित पद पाठशासत्। वह्निः। दुहितुः। नप्त्यम्। गात्। विद्वान्। ऋतस्य। दीधितिम्। सपर्यन्। पिता। यत्र। दुहितुः। सेकम्। ऋञ्जन्। सम्। शग्म्येन। मनसा। दधन्वे॥
ऋग्वेद - मण्डल » 3; सूक्त » 31; मन्त्र » 1
अष्टक » 3; अध्याय » 2; वर्ग » 5; मन्त्र » 1
अष्टक » 3; अध्याय » 2; वर्ग » 5; मन्त्र » 1
विषय - दुहिता का अपतन
पदार्थ -
[१] (शासत्) = अपना शासन करता हुआ अपनी इन्द्रियों, मन व बुद्धि को अपने वश में करता हुआ, (वह्निः) = अपने कर्त्तव्य कर्मों का सम्यक् वहन करनेवाला यह पुरुष (दुहितुः) = [दुह प्रपूरणे] ज्ञान का प्रपूरण करनेवाली वेदवाणी के (नप्त्यम्) = अपतन, अत्याग को (गात्) = प्राप्त होता है। यह इस वेदवाणीरूप गौ के दोहन में कभी प्रमाद नहीं करता-नियमितरूप से इसके ज्ञानदुग्ध का पान करता ही है। (विद्वान्) = इसीलिए यह ज्ञानी बनता है और (ऋतस्य दीधितिम्) = उस ऋत को सत्य को धारण करनेवाले प्रभु का (सपर्यन्) = पूजन करता है। वेदवाणीरूप गौ के दोहन के दो परिणाम हैं [क] यह दोग्धा व उस दुग्ध का पान करनेवाला व्यक्ति ज्ञानी बनता है और [ख] प्रभु का उपासक होता है। [२] अब यह पिता रक्षणात्मक कार्यों में प्रवृत्त होनेवाला व्यक्ति (यत्र) = जहाँ (दुहितुः) = उस ज्ञान का प्रपूरण करनेवाली वेदवाणी के (सेकम्) = ज्ञानदुग्ध के सेचन को (ऋञ्जन्) = [प्रसाधयन्] सिद्ध करनेवाला होता है, वहाँ (शग्म्येन मनसा) = बड़े शान्त सुखकर मन से (संदधन्वे) = अपना धारण करता है, अर्थात् यह सदा शान्त प्रसन्न मनवाला होता है।
भावार्थ - भावार्थ - वेदवाणीरूप गौ के दोहन व उस ज्ञानदुग्ध-पान के तीन परिणाम हैं- [क] ज्ञान प्राप्ति, [ख] प्रभु के उपासन की वृत्ति और [ग] रक्षणात्मक कार्यों में लगना ।
इस भाष्य को एडिट करें