Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 19 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 19/ मन्त्र 1
    ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा देवता - पवमानः सोमः छन्दः - विराड्गायत्री स्वरः - षड्जः

    यत्सो॑म चि॒त्रमु॒क्थ्यं॑ दि॒व्यं पार्थि॑वं॒ वसु॑ । तन्न॑: पुना॒न आ भ॑र ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत् । सो॒म॒ । चि॒त्रम् । उ॒क्थ्य॑म् । दि॒व्यम् । पार्थि॑वम् । वसु॑ । तत् । नः॒ । पु॒न॒नः । आ । भ॒र॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यत्सोम चित्रमुक्थ्यं दिव्यं पार्थिवं वसु । तन्न: पुनान आ भर ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यत् । सोम । चित्रम् । उक्थ्यम् । दिव्यम् । पार्थिवम् । वसु । तत् । नः । पुननः । आ । भर ॥ ९.१९.१

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 19; मन्त्र » 1
    अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 9; मन्त्र » 1

    पदार्थ -
    (सोम) हे परमात्मन् ! (यत्) जो (चित्रम्) अद्भुत (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (दिव्यम्) द्युलोकसम्बन्धी तथा (पार्थिवं) पृथिवीसम्बन्धी (वसु) धनरत्नादि एश्वर्य हैं, (तत्) उससे (नः) हमको (पुनानः) पवित्र करते हुए (आभर) परिपूर्ण होने की शिक्षा दीजिये ॥१॥

    भावार्थ - इससे परमात्मा से विविध धनादि ऐश्वर्य पाने के लिये शिक्षा की प्रार्थना है ॥१॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top