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  • यजुर्वेद - अध्याय 20/ मन्त्र 58
    ऋषिः - विदर्भिर्ऋषिः देवता - अश्विसरस्वतीन्द्रा देवताः छन्दः - निचृदनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
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    आ॒जुह्वा॑ना॒ सर॑स्व॒तीन्द्रा॑येन्द्रि॒याणि॑ वी॒र्यम्।इडा॑भिर॒श्विना॒विष॒ꣳ समूर्ज॒ꣳ सꣳ र॒यिं द॑धुः॥५८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ॒जुह्वा॒नेत्या॒ऽजुह्वा॑ना। सर॑स्वती। इन्द्रा॑य। इ॒न्द्रि॒याणि॑। वी॒र्य᳖म्। इडा॑भिः। अ॒श्विनौ॑। इष॑म्। सम्। ऊर्ज्ज॑म्। सम्। र॒यिम्। द॒धुः॒ ॥५८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आजुह्वाना सरस्वतीन्द्रायेन्द्रियाणि वीर्यम् । इडाभिरश्विनाविषँ समूर्जँ सँ रयिं दधुः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आजुह्वानेत्याऽजुह्वाना। सरस्वती। इन्द्राय। इन्द्रियाणि। वीर्यम्। इडाभिः। अश्विनौ। इषम्। सम्। ऊर्ज्जम्। सम्। रयिम्। दधुः॥५८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 20; मन्त्र » 58
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    पदार्थ -
    १. (आजुह्वाना) = [आह्वयन्ती ] प्रभु का आह्वान [पुकार] करती हुई (सरस्वती) = ज्ञान की अधिदेवता (इन्द्राय) = जितेन्द्रिय पुरुष के लिए (इन्द्रियाणि) = इन्द्रियशक्तियों को अथवा ५६वें मन्त्र की व्याख्या में प्रदर्शित सात धनों को तथा (वीर्यम्) = वीर्य को धारण करती है। ज्ञान और प्रभु-उपासना के मिल जाने पर मानव जीवन में सब इन्द्रियाँ सशक्त होती हैं, इन्द्रियों के ऐश्वर्य को प्राप्त करके यह वीर्यवान् बनता है। २. (इडाभिः) = ज्ञान की वाणियों के द्वारा (अश्विना) = प्राणापान (इषं सन्दधुः) = सम्यक्तया प्रेरणा प्राप्त कराते हैं (ऊर्जम्) = उस प्रेरणा को क्रियारूप में लाने के लिए इसमें बल व प्राणशक्ति का आह्वान करते हैं और (रयिम्) = प्रेरणानुसार कार्य कर सकने के लिए उचित धन का (सन्दधुः) = सम्यक्तया धारण करते हैं । ३. 'इडाभिः' शब्द का अर्थ 'श्रद्धा की भावनाओं से भी होता है। प्राणापान श्रद्धा की भावनाओं के होने पर इसे प्रेरणाशक्ति व धन' प्राप्त कराते हैं। ४. प्रस्तुत मन्त्र में सरस्वती का विशेषण 'आजुह्वाना' ज्ञान के साथ उपासना को जोड़ रहा है तथा अश्विना के साथ 'इडाभिः ' यह पद बल के साथ श्रद्धा के मेल का विधान कर रहा है। बल के साथ श्रद्धा होने पर ही प्रेरणाशक्ति व धन का लाभ है। एवं ज्ञान व बल दोनों के साथ श्रद्धा व उपासना का होना आवश्यक है।

    भावार्थ - भावार्थ- हमारी सरस्वती प्रभु को पुकारती हुई हो, ज्ञान उपासना से जुड़ा हो तथा हमारी प्राणाशक्ति के साथ श्रद्धा का मेल हो। हम उन्नत शक्तिवाले बनें, श्रद्धा से युक्त हों।

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