Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 5 के सूक्त 70 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 70/ मन्त्र 3
    ऋषिः - उरूचक्रिरात्रेयः देवता - मित्रावरुणौ छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    पा॒तं नो॑ रुद्रा पा॒युभि॑रु॒त त्रा॑येथां सुत्रा॒त्रा। तु॒र्याम॒ दस्यू॑न्त॒नूभिः॑ ॥३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पा॒तम् । नः॒ । रु॒द्रा॒ । पा॒युऽभिः॑ । उ॒त । त्रा॒ये॒था॒म् । सु॒ऽत्रा॒त्रा । तु॒र्याम॑ । दस्यू॑न् । त॒नूऽभिः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पातं नो रुद्रा पायुभिरुत त्रायेथां सुत्रात्रा। तुर्याम दस्यून्तनूभिः ॥३॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पातम्। नः। रुद्रा। पायुऽभिः। उत। त्रायेथाम्। सुऽत्रात्रा। तुर्याम। दस्यून्। तनूभिः ॥३॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 70; मन्त्र » 3
    अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 8; मन्त्र » 3

    भावार्थ -
    भा०—हे (रुद्रा) दुष्टों को रुलाने और पीड़ितों को शरण देने वाले मित्र और वरुण ! सभा सेना के अध्यक्षो ! आप दोनों (नः) हम प्रजाओं को ( पायुभिः ) नाना रक्षा साधनों से ( उत ) तथा ( सुत्रात्रा ) उत्तम पालक दण्ड विधान से ( पातं ) पालन करो और ( त्रायेथाम् ) संकटों से बचाओ । हम स्वयं ( तनूभिः ) अपने शरीरों से तथा पुत्र पौत्रों तथा विस्तृत सैन्यादि से ( दस्यून् तुर्याम्) दुष्ट, हिंसक पुरुषों का नाश करें ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - उरुचक्रिरात्रेय ऋषिः ॥ मित्रावरुणे देवते ॥ गायत्री छन्दः ॥ चतुर्ऋचं सूक्तम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top