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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 114 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 114/ मन्त्र 7
    ऋषिः - कुत्स आङ्गिरसः देवता - रुद्रः छन्दः - निचृज्जगती स्वरः - निषादः

    मा नो॑ म॒हान्त॑मु॒त मा नो॑ अर्भ॒कं मा न॒ उक्ष॑न्तमु॒त मा न॑ उक्षि॒तम्। मा नो॑ बधीः पि॒तरं॒ मोत मा॒तरं॒ मा न॑: प्रि॒यास्त॒न्वो॑ रुद्र रीरिषः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मा । नः॒ । म॒हान्त॑म् । उ॒त । मा । नः॒ । अ॒र्भ॒कम् । मा । नः॒ । उक्ष॑न्तम् । उ॒त । मा । नः॒ । उ॒क्षि॒तम् । मा । नः॒ । व॒धीः॒ । पि॒तर॑म् । मा । उ॒त । मा॒तर॑म् । मा । नः॒ । प्रि॒याः । त॒न्वः॑ । रु॒द्र॒ । रि॒रि॒षः॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मा नो महान्तमुत मा नो अर्भकं मा न उक्षन्तमुत मा न उक्षितम्। मा नो बधीः पितरं मोत मातरं मा न: प्रियास्तन्वो रुद्र रीरिषः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मा। नः। महान्तम्। उत। मा। नः। अर्भकम्। मा। नः। उक्षन्तम्। उत। मा। नः। उक्षितम्। मा। नः। बधीः। पितरम्। मा। उत। मातरम्। मा। नः। प्रियाः। तन्वः। रुद्र। रिरिषः ॥ १.११४.७

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 114; मन्त्र » 7
    अष्टक » 1; अध्याय » 8; वर्ग » 6; मन्त्र » 2

    Purport -

    Destroyer of the wicked O God! Be gracious on us. Do not destroy our parents, who are advanced in knowledge and age. Do not take away our off-springs of tender age, our youths who are capable of emitting their semen, and the seman already emitted in the womb. O God! neither kill our fathers and mothers nor injure our bodies.

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