Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 15/ मन्त्र 2
    ऋषिः - परमेष्ठी ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    5

    सह॑सा जा॒तान् प्रणु॑दा नः स॒पत्ना॒न् प्रत्यजा॑तान् जातवेदो नुदस्व। अधि॑ नो ब्रूहि सुमन॒स्यमा॑नो व॒यꣳ स्या॑म॒ प्रणु॑दा नः स॒पत्ना॑न्॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सह॑सा। जा॒तान्। प्र। नु॒द॒। नः॒। स॒पत्ना॒निति॑ स॒ऽपत्ना॑न्। प्रति॑। अजा॑तान्। जा॒त॒वे॒द॒ इति॑ जातऽवेदः। नु॒द॒स्व॒। अधि॑। नः॒। ब्रू॒हि॒। सु॒म॒न॒स्यमा॑न॒ इति॑ सुऽमन॒स्यमा॑नः। व॒यम्। स्या॒म॒। प्र। नु॒द॒। नः॒। स॒पत्ना॒निति॑ स॒ऽपत्ना॑न् ॥२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहसा जातान्प्रणुदा नः सपत्नान्प्रत्यजाताञ्जातवेदो नुदस्व । अधि नो ब्रूहि सुमनस्यमानो वयँ स्याम प्र णुदा नः सपत्नान्॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सहसा। जातान्। प्र। नुद। नः। सपत्नानिति सऽपत्नान्। प्रति। अजातान्। जातवेद इति जातऽवेदः। नुदस्व। अधि। नः। ब्रूहि। सुमनस्यमान इति सुऽमनस्यमानः। वयम्। स्याम। प्र। नुद। नः। सपत्नानिति सऽपत्नान्॥२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 15; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    शब्दार्थ -
    शब्दार्थ - हे (जावेवद:) प्रभूत ज्ञानवान राजा, आपण (न:) आमच्या (आपल्या व आमच्या राज्याच्या विरोधात उभे ठाकलेल्या (सहसा) शक्तिशाली आणि (जातान्) प्रसिद्ध (सपत्नान्) शत्रुसैन्यावर (प्रणुद) विजय मिळवा. तसेच त्यांच्या (प्रति) मधे (अजातान्) युद्धक्षेत्रात तुमच्याविरूद्ध गुप्त कारवाया करणार्‍या, पण वरून मित्रत्वभावाने वागणार्‍या अशा शत्रुसहायकांना (नुदस्व) शोधून काढा आणि त्यांना बंधनात ठेवा. आपण (सुमनस्यमाना:) चांगल्याप्रकारे विचार करून (न:) आम्हा प्रजाजनांना योग्य तो उपदेश (अधिब्रूहि) अधिकाकाधिक आणि आवश्यक त्यावेळी देत जा की ज्यायोगे (वयम्) आम्ही प्रजाजन देखील युद्धामधे आपले सहाय्यक (स्याम) होऊ शकू. तसेच आपण (न:) आमच्या (सपत्नान्) विरोधी असलेल्या संबंधी लोकांना (प्रणुद) वश करा. आम्ही देखील अशा (संबंधी लोक, पण शत्रूला सहाय्य करणार्‍या लोकांना) दंडित करू (अथवा शत्रुपक्षाला मदत करणार्‍या सर्व हितशत्रूंना ठार करू) ॥2॥

    भावार्थ - missing

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top