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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 168 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 168/ मन्त्र 5
    ऋषिः - अगस्त्यो मैत्रावरुणिः देवता - मरुतः छन्दः - विराट्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    को वो॒ऽन्तर्म॑रुत ऋष्टिविद्युतो॒ रेज॑ति॒ त्मना॒ हन्वे॑व जि॒ह्वया॑। ध॒न्व॒च्युत॑ इ॒षां न याम॑नि पुरु॒प्रैषा॑ अह॒न्यो॒३॒॑ नैत॑शः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः । वः॒ । अ॒न्तः । म॒रु॒तः॒ । ऋ॒ष्टि॒ऽवि॒द्यु॒तः॒ । रेज॑ति । त्मना॑ । हन्वा॑ऽइव । जि॒ह्वया॑ । ध॒न्व॒ऽच्युतः॑ । इ॒षाम् । न । याम॑नि । पु॒रु॒ऽप्रैषाः॑ । अ॒ह॒न्यः॑ । न । एत॑शः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    को वोऽन्तर्मरुत ऋष्टिविद्युतो रेजति त्मना हन्वेव जिह्वया। धन्वच्युत इषां न यामनि पुरुप्रैषा अहन्यो३ नैतशः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कः। वः। अन्तः। मरुतः। ऋष्टिऽविद्युतः। रेजति। त्मना। हन्वाऽइव। जिह्वया। धन्वऽच्युतः। इषाम्। न। यामनि। पुरुऽप्रैषाः। अहन्यः। न। एतशः ॥ १.१६८.५

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 168; मन्त्र » 5
    अष्टक » 2; अध्याय » 4; वर्ग » 6; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह ।

    अन्वयः

    हे पुरुप्रैषा ऋष्टिविद्युतो मरुतो वोऽन्तः को रेजति। जिह्वया हन्वेव त्मना को वोऽन्ता रेजति। इषां धन्वच्युतो मेधा नाहन्य एतशो न यामनि युष्मान् कः संयुनक्ति ॥ ५ ॥

    पदार्थः

    (कः) (वः) युष्माकम् (अन्तः) मध्ये (मरुतः) विद्वांसः (ऋष्टिविद्युतः) ऋष्टिर्विद्युदिव येषान्ते (रेजति) कम्पते (त्मना) आत्मना (हन्वेव) यथा हनू तथा (जिह्वया) वाचा (धन्वच्युतः) धन्वनोऽन्तरिक्षाच्च्युताः प्राप्ताः (इषाम्) इच्छानाम् (न) इव (यामनि) मार्गे (पुरुप्रैषाः) बहुभिः प्रेरिताः (अहन्यः) अहनि भवः (न) इव (एतशः) अश्वः। एतश इत्यश्वना०। निघं० १। १४। ॥ ५ ॥

    भावार्थः

    अत्रोपमालङ्कारः। यदा जिज्ञासवो विदुषः प्रति पृच्छेयुस्तदा विद्वांस एभ्यो याथातथ्यमुत्तराणि दद्युः ॥ ५ ॥

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    हिन्दी (1)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

    पदार्थ

    हे (पुरुप्रैषाः) बहुतों से प्रेरणा को प्राप्त (ऋष्टिविद्युतः) ऋष्टि-द्विधारा खड्ग को बिजुली के समान तीव्र रखनेवाले (मरुतः) विद्वानो ! (वः) तुम्हारे (अन्तः) बीच में (कः) कौन (रेजति) कम्पता है और (जिह्वया) वाणी से (हन्वेव) कनफटी जैसे डुलाई जावें वैसे (त्मना) अपने से कौन तुम्हारे बीच में कम्पता है (इषाम्) और इच्छाओं के सम्बन्ध में (धन्वच्युतः) अन्तरिक्ष में प्राप्त मेघों के (न) समान वा (अहन्यः) दिन में प्रसिद्ध होनेवाले (एतशः) घोड़े के (न) समान (यामनि) मार्ग में तुम लोगों को कौन संयुक्त करता है ॥ ५ ॥

    भावार्थ

    इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जब जिज्ञासु जन विद्वानों के प्रति पूछें तब विद्वान् जन इनके लिये यथार्थ उत्तर देवें ॥ ५ ॥

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    या मंत्रात उपमालंकार आहे. जेव्हा जिज्ञासू लोक विद्वानांना प्रश्न विचारतात तेव्हा विद्वानांनी त्याचे यथार्थ उत्तर द्यावे. ॥ ५ ॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    O Maruts, wielders of arms blazing as light and lightning, who or what in you shakes and shines in you by itself like flames or waves of sound? Inspirers of many, augmenters of food, energy and love of life, who starts you on your mission of life like the cloud melting in the sky or like a fast horse on its daily round?

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