साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 168/ मन्त्र 2
सं प्रेर॑ते॒ अनु॒ वात॑स्य वि॒ष्ठा ऐनं॑ गच्छन्ति॒ सम॑नं॒ न योषा॑: । ताभि॑: स॒युक्स॒रथं॑ दे॒व ई॑यते॒ऽस्य विश्व॑स्य॒ भुव॑नस्य॒ राजा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठसम् । प्र । ई॒र॒ते॒ । अनु॑ । वात॑स्य । वि॒ऽस्थाः । आ । ए॒न॒म् । ग॒च्छ॒न्ति॒ । सम॑नम् । न । योषाः॑ । ताभिः॑ । स॒ऽयुक् । स॒ऽरथ॑म् । दे॒वः । ई॒य॒ते॒ । अ॒स्य । विश्व॑स्य । भुव॑नस्य । राजा॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
सं प्रेरते अनु वातस्य विष्ठा ऐनं गच्छन्ति समनं न योषा: । ताभि: सयुक्सरथं देव ईयतेऽस्य विश्वस्य भुवनस्य राजा ॥
स्वर रहित पद पाठसम् । प्र । ईरते । अनु । वातस्य । विऽस्थाः । आ । एनम् । गच्छन्ति । समनम् । न । योषाः । ताभिः । सऽयुक् । सऽरथम् । देवः । ईयते । अस्य । विश्वस्य । भुवनस्य । राजा ॥ १०.१६८.२
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 168; मन्त्र » 2
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 26; मन्त्र » 2
Acknowledgment
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 26; मन्त्र » 2
Acknowledgment
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
पदार्थ
(विष्ठाः) पृथिवी में प्रविष्ट होकर स्थित ओषधि-वनस्पतियाँ (वातस्य-अनु) प्रचण्ड वायु के पीछे-साथ (संप्रेरते) काँपती हैं-झूलती हैं (एनं योषाः-न) इस प्रचण्ड वायु को स्त्रियों की भाँति-स्त्रियों जैसे (समनम्-आ गच्छन्ति) समान मनोभावन स्थान को प्राप्त होती हैं, उसी भाँति वात के पीछे ओषधियाँ गति करती हैं (अस्य विश्वस्य भुवनस्य) इस सारे पृथिवीलोक का (देवः) वातदेव राजा होकर (ताभिः सयुक्) उन प्रजासदृश ओषधियों के साथ समान घोड़ेवाला (सरथम्-ईयते) समानरथ के प्रति गति करता है ॥२॥
भावार्थ
पृथिवी में स्थित होकर पृथिवी पर पुष्ट होकर ओषधि-वनस्पतियाँ वायु के साथ गति करती हैं, काँपती हैं, जैसे स्त्रियाँ एक मन होकर किसी आश्रयस्थान को प्राप्त-होती हैं, पृथिवीलोक की सारी वस्तुएँ इसका अनुगमन करती हैं ॥२॥
संस्कृत (1)
पदार्थः
(विष्ठाः-वातस्य-अनुसम्प्रेरते) पृथिव्यां प्रविश्य स्थिताः-ओषधि-वनस्पतयो वातस्यानुकूलं कम्पन्ते (एनं योषाः-न समनम्-आगच्छन्ति) एतं स्त्रियः इव समानमनोभावस्थानं प्राप्नुवन्ति तद्वत् (अस्य-विश्वस्य भुवनस्य देवः-राजा) अस्य सर्वस्य पृथिवीलोकस्य राजा भूत्वा (ताभिः सयुक् सरथम्-ईयते) ताभिः प्रजाभिः सह समानाश्वः समानरथो गच्छति ॥२॥
इंग्लिश (1)
Meaning
Plants, creepers and solid structures on earth, like trees, wave and shake in deference to Vayu, wind energy, just as youthful maidens go to their love and flashes of lighting go with the sky. And one with all these, goes the ruling energy of this whole universe, divine wind on the chariot of its currents.
मराठी (1)
भावार्थ
स्त्रिया जशा मनाला आवडणाऱ्या एखाद्या आश्रयस्थानाला प्राप्त करतात. तशा पृथ्वीत स्थित होऊन पृथ्वीवर पुष्ट बनून औषधी वनस्पती वायूबरोबर गती करतात, डोलतात, कंप पावतात. पृथ्वीलोकावरील सर्व वस्तू वायूचे अनुगमन करतात. ॥२॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal