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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 53 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 53/ मन्त्र 10
    ऋषिः - देवाः देवता - अग्निः सौचीकः छन्दः - विराड्जगती स्वरः - निषादः

    स॒तो नू॒नं क॑वय॒: सं शि॑शीत॒ वाशी॑भि॒र्याभि॑र॒मृता॑य॒ तक्ष॑थ । वि॒द्वांस॑: प॒दा गुह्या॑नि कर्तन॒ येन॑ दे॒वासो॑ अमृत॒त्वमा॑न॒शुः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒तः । नू॒नम् । क॒व॒यः॒ । सम् । शि॒शी॒त॒ । वाशी॑भिः । याभिः॑ । अ॒मृता॑य । तक्ष॑थ । वि॒द्वांसः॑ । प॒दा । गुह्या॑नि । क॒र्त॒न॒ । येन॑ । दे॒वासः॑ । अ॒मृ॒त॒ऽत्वम् । आ॒न॒शुः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सतो नूनं कवय: सं शिशीत वाशीभिर्याभिरमृताय तक्षथ । विद्वांस: पदा गुह्यानि कर्तन येन देवासो अमृतत्वमानशुः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सतः । नूनम् । कवयः । सम् । शिशीत । वाशीभिः । याभिः । अमृताय । तक्षथ । विद्वांसः । पदा । गुह्यानि । कर्तन । येन । देवासः । अमृतऽत्वम् । आनशुः ॥ १०.५३.१०

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 53; मन्त्र » 10
    अष्टक » 8; अध्याय » 1; वर्ग » 14; मन्त्र » 5
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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (कवयः) विद्वानों ! (नूनम्) अवश्य (वाशीभिः सतः सं शिशीत) वेदवाणियों के द्वारा सत्पुरुषों को तीक्ष्ण करो-उद्बुद्ध करो (याभिः-अमृतत्वाय तक्षथ) जिन वाणियों के द्वारा अपने को अमृतत्व-मोक्ष के लिए तुम सम्पन्न करते हो (विद्वांसः) हे विद्वानों ! (गुह्यानि पदा कर्तन) रहस्यमय गुप्त प्राप्तव्य सुखों को यहाँ सम्पन्न-प्राप्त करते हो (येन देवासः-अमृतत्वम्-आनशुः) जिस ज्ञान द्वारा विद्वान् मुमुक्षु जन अमृतत्व-मोक्ष को प्राप्त करते हैं ॥१०॥

    भावार्थ

    अपने लिए मुमुक्षु विद्वान् जैसे सांसारिक सुखों को वेदज्ञान से सिद्ध करते हैं, उसी प्रकार वेदज्ञान से मोक्ष को भी सिद्ध करते हैं। अपने की तरह दूसरों के भी दोनों सुखों को सिद्ध करने के लिए उन्हें वेद का प्रचार और उसके द्वारा अन्यों को प्रेरित करना चाहिए ॥१०॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (कवयः) विद्वांसः ! (नूनम्) अवश्यम् (वाशीभिः सतः संशिशीत) वेदवाग्भिः “वाशी वाङ्नाम” [निघ० १।११] सत्पुरुषान् तीक्ष्णी कुरुत (याभिः-अमृतत्वाय तक्षथ) याभिर्वाग्भिरमृतत्वाय मोक्षाय यूयमात्मानं सम्पादयत (विद्वांसः) हे विद्वांसः ! (गुह्यानि पदा कर्तन) रहस्यमयानि गुह्यानि प्राप्तव्यानि सुखानि कुरुत (येन देवासः-अमृतत्वम्-आनशुः) येन ज्ञानेन विद्वांसः-अमृतत्वं प्राप्नुयुः ॥१०॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    O men of vision and seekers of divinity, sharpen and refine your golden axe of knowledge with the voice of Brahmanaspati, lord omniscient, by which you prepare for the attainment of immortality. O scholars of knowledge, carve out the mystical paths to divinity, work out the progressive stages by which the seekers of divinity attained to the nectar of life eternal.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    मुमुक्षू विद्वान जसे सांसारिक सुखांना वेदज्ञानाने सिद्ध करतात त्याच प्रकारे वेदज्ञानाने मोक्षही सिद्ध करतात. आपल्याप्रमाणे इतरांच्याही दोन्ही सुखांना सिद्ध करण्यासाठी त्यांना वेदाचा प्रचार व त्याच्याद्वारे इतरांना प्रेरित केले पाहिजे. ॥१०॥

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