ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 73/ मन्त्र 4
तदू॒ षु वा॑मे॒ना कृ॒तं विश्वा॒ यद्वा॒मनु॒ ष्टवे॑। नाना॑ जा॒ताव॑रे॒पसा॒ सम॒स्मे बन्धु॒मेय॑थुः ॥४॥
स्वर सहित पद पाठतत् । ऊँ॒ इति॑ । सु । वा॒म् । ए॒ना । कृ॒तम् । विश्वा॑ । यत् । वा॒म् । अनु॑ । स्तवे॑ । नाना॑ । जा॒तौ । अ॒रे॒पसा॑ । सम् । अ॒स्मे इति॑ । बन्धु॑म् । आ । ई॒य॒थुः॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
तदू षु वामेना कृतं विश्वा यद्वामनु ष्टवे। नाना जातावरेपसा समस्मे बन्धुमेयथुः ॥४॥
स्वर रहित पद पाठतत्। ऊँ इति। सु। वाम्। एना। कृतम्। विश्वा। यत्। वाम्। अनु। स्तवे। नाना। जातौ। अरेपसा। सम्। अस्मे इति। बन्धुम्। आ। ईयथुः ॥४॥
ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 73; मन्त्र » 4
अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 11; मन्त्र » 4
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अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 11; मन्त्र » 4
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनर्मनुष्याः किं विजानीयुरित्याह ॥
अन्वयः
हे अध्यापकोपदेशकौ ! यद्युवाभ्यां कृतं तदेना विश्वाहमनुष्टवे यावरेपसा नाना जातौ वां प्राप्नुथ[स्]तावस्मे बन्धुं समेयथुस्तदु अहं वां सुप्रेरयेयम् ॥४॥
पदार्थः
(तत्) (उ) (सु) (वाम्) युवाम् (एना) एनानि (कृतम्) निष्पादितम् (विश्वा) सर्वाणि (यत्) यानि (वाम्) युवाम् (अनु) (स्तवे) स्तौमि (नाना) (जातौ) प्रकटौ (अरेपसा) अनपराधिनौ (सम्) (अस्मे) अस्माकम् (बन्धुम्) (आ) (ईयथुः) प्राप्नुयातम्। अत्र पुरुषव्यत्ययः ॥४॥
भावार्थः
हे मनुष्या ! यथाहं वायुविद्युद्विद्यां जानीयां तथैव यूयमपि विजानीत ॥४॥
हिन्दी (1)
विषय
फिर मनुष्य क्या विशेष जानें, इस विषय को कहते हैं ॥
पदार्थ
हे अध्यापक और उपदेशक जनो ! (यत्) जो आप दोनों ने (कृतम्) सिद्ध किया (तत्) उन (एना) इन (विश्वा) संपूर्णों की मैं (अनु, स्तवे) स्तुति करता हूँ और जो (अरेपसा) अपराधरहित (नाना) अनेक प्रकार (जातौ) प्रकट (वाम्) आप दोनों प्राप्त होते हैं वह =आप दोनों (अस्मे) हम लोगों के (बन्धुम्) बन्धु को (सम्, आ, ईयथुः) प्राप्त हूजिये (उ) और उसको मैं (वाम्) आप दोनों की (सु) उत्तम प्रकार प्रेरणा करूँ ॥४॥
भावार्थ
हे मनुष्यो ! जैसे मैं वायु और बिजुली की विद्या को जानूँ, वैसे ही आप लोग भी जानिये ॥४॥
मराठी (1)
भावार्थ
हे माणसांनो! जशी मी वायू व विद्या जाणतो. तशीच तुम्हीही जाणा. ॥ ४ ॥
English (1)
Meaning
Ashvins, complementary, powers of nature, and humanity like teachers and preachers, leaders and followers, for all these that you have done for us, for all that, I honour and adore you in consequence. Born and arisen without sin and free of negativity, come and guide our friends and brothers for our sake.
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