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ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 94 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 94/ मन्त्र 3
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - इन्द्राग्नी छन्दः - निचृदार्षीगायत्री स्वरः - षड्जः

    मा पा॑प॒त्वाय॑ नो न॒रेन्द्रा॑ग्नी॒ माभिश॑स्तये । मा नो॑ रीरधतं नि॒दे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मा । पा॒प॒ऽत्वाय॑ । नः॒ । न॒रा॒ । इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑ । मा । अ॒भिऽश॑स्तये । मा । नः॒ । री॒र॒ध॒त॒म् । नि॒दे ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मा पापत्वाय नो नरेन्द्राग्नी माभिशस्तये । मा नो रीरधतं निदे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मा । पापऽत्वाय । नः । नरा । इन्द्राग्नी इति । मा । अभिऽशस्तये । मा । नः । रीरधतम् । निदे ॥ ७.९४.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 94; मन्त्र » 3
    अष्टक » 5; अध्याय » 6; वर्ग » 17; मन्त्र » 3
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (इन्द्राग्नी) हे कर्मज्ञानोभययोगिनौ विद्वांसौ ! भवन्तौ (नरा) शुभमार्गनेतारौ स्तः, अतः भवत्सुसंसर्गेण (अभिशस्तये) दमनयोग्यः (मा) न स्याम्, तथा (नः) मां (मा, रीरधतम्) हिंसकं मा कार्ष्टां (निदे) निन्दकं (पापत्वाय) पापाचारिणं च मां (मा) मा कार्ष्टाम् ॥३॥

    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (इन्द्राग्नी) हे कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगी विद्वानों ! आप (नरा) शुभमार्गों के नेता हैं; आपके सत्सङ्ग से (अभिशस्तये) शत्रुदमन के योग्य हम (मा) मत हों और (नः) हमको (मा, रीरधतं) हिंसा के भागी न बनायें और (निदे) निन्दा के भागी मत बनायें, (पापत्वाय) पाप के लिए हमारा जीवन (मा) मत हो ॥३॥

    भावार्थ

    विद्वानों से मिलकर जिज्ञासुओं को यह प्रार्थना करनी चाहिए कि आपके सङ्ग से हम में ऐसा बल उत्पन्न हो कि हमको शत्रु कभी दबा न सकें और हम कोई ऐसा काम न करें, जिससे हमारी संसार में निन्दा हो और हमारा मन कदापि पाप की ओर न जाये ॥३॥

    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Indragni, leaders of humanity, pioneers of progress and enlightenment, deliver us not to the sinner, not to the tyrant, not to the re viler. Let us be free.

    मराठी (1)

    भावार्थ

    विद्वानांबरोबर मिळून जिज्ञासूंनी ही प्रार्थना केली पाहिजे, की तुमच्या संगतीने असे बल उत्पन्न व्हावे, की शत्रूद्वारे आमचे कधी दमन होता कामा नये व आम्ही असे काम करता नये. ज्यामुळे जगात आमची निंदा होईल व आमचे मन पापाकडे वळेल. ॥३॥

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