ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 94/ मन्त्र 7
इन्द्रा॑ग्नी॒ अव॒सा ग॑तम॒स्मभ्यं॑ चर्षणीसहा । मा नो॑ दु॒:शंस॑ ईशत ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑ । अव॑सा । आ । ग॒त॒म् । अ॒स्मभ्य॑म् । च॒र्ष॒णि॒ऽस॒हा॒ । मा । नः॒ । दुः॒ऽशंसः॑ । ई॒श॒त॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्राग्नी अवसा गतमस्मभ्यं चर्षणीसहा । मा नो दु:शंस ईशत ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्राग्नी इति । अवसा । आ । गतम् । अस्मभ्यम् । चर्षणिऽसहा । मा । नः । दुःऽशंसः । ईशत ॥ ७.९४.७
ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 94; मन्त्र » 7
अष्टक » 5; अध्याय » 6; वर्ग » 18; मन्त्र » 1
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अष्टक » 5; अध्याय » 6; वर्ग » 18; मन्त्र » 1
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
(चर्षणीसहा) हे दुष्टनाशकाः (इन्द्राग्नी) कर्मयोगिनो ज्ञानयोगिनश्च विद्वांसः ! भवन्तः (अवसा) सहैश्वर्येण (आगतम्) आयान्तु, (दुःशंसः) दुष्टाः (नः) अस्माकम् (मा, ईशत) अभिभवितारो न स्युः ॥७॥
हिन्दी (1)
पदार्थ
(चर्षणीसहा) हे दुष्टों के दमन करनेवाले (इन्द्राग्नी) कर्मयोगी ज्ञानयोगी विद्वानों ! आप (अवसा) ऐश्वर्य्य के साथ (आगतं) हमारे यज्ञों में आवें और हमारे (दुःशंसः) शत्रु (नः) हमको (मा, ईशत) न सतावें ॥७॥
भावार्थ
परमात्मा उपदेश करते हैं कि याज्ञिक लोगो ! तुम अपने यज्ञों में ऐसे विद्वानों को बुलाओ, जो दुष्टों के दमन करने और ऐश्वर्य्य के उत्पन्न करने में समर्थ हों ॥७॥
इंग्लिश (1)
Meaning
O lords of light and action, Indra and Agni, leaders of the people with patience and spirit of challenge, destroyers of hostilities, come to us with protection, guidance and the prize of victory. Let no evil, no malicious or disreputable forces rule over us.
मराठी (1)
भावार्थ
परमात्मा उपदेश करतो, की याज्ञिक लोकांनो! तुम्ही आपल्या यज्ञात अशा विद्वानांना बोलवा जे दुष्टांचे दमन करण्यासाठी व ऐश्वर्य उत्पन्न करण्यासाठी समर्थ असावेत. ॥७॥
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