ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 20/ मन्त्र 11
स॒मा॒नम॒ञ्ज्ये॑षां॒ वि भ्रा॑जन्ते रु॒क्मासो॒ अधि॑ बा॒हुषु॑ । दवि॑द्युतत्यृ॒ष्टय॑: ॥
स्वर सहित पद पाठस॒मा॒नम् । अ॒ञ्जि । ए॒षा॒म् । वि । भ्रा॒ज॒न्ते॒ । रु॒क्मासः॑ । अधि॑ । बा॒हुषु॑ । दवि॑द्युतति । ऋ॒ष्टयः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
समानमञ्ज्येषां वि भ्राजन्ते रुक्मासो अधि बाहुषु । दविद्युतत्यृष्टय: ॥
स्वर रहित पद पाठसमानम् । अञ्जि । एषाम् । वि । भ्राजन्ते । रुक्मासः । अधि । बाहुषु । दविद्युतति । ऋष्टयः ॥ ८.२०.११
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 20; मन्त्र » 11
अष्टक » 6; अध्याय » 1; वर्ग » 38; मन्त्र » 1
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अष्टक » 6; अध्याय » 1; वर्ग » 38; मन्त्र » 1
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भाष्य भाग
संस्कृत (2)
पदार्थः
(एषाम्) एषां मरुताम् (अञ्जि, समानम्) व्यञ्जकं चिह्नमेकविधमेव (अधिबाहुषु) बाहुमूलेषु (रुक्मासः) सुवर्णमयानि परिचायकभूषणानि (भ्राजन्ते) दीप्यन्ते तथा (ऋष्टयः) हस्तेषु शक्तिप्रभृतिशस्त्राणि (दविद्युतति) भृशं द्योतन्ते ॥११॥
विषयः
पुनस्तदनुवर्त्तते ।
पदार्थः
एषाम्=मरुद्गणानाम् । अञ्जि=गतिः । समानम् । तथा । रुक्मासः=रुक्मा दीप्यमानाः । सुवर्णमया हाराः । वक्षःसु । विभ्राजन्ते समाना एव । तथा । बाहुषु । अधि । सप्तम्यर्थद्योतकः । भुजेषु । ऋष्टयः=शक्त्यादीनि आयुधानि । दविद्युतति=अत्यर्थं द्योतन्ते ॥११ ॥
हिन्दी (4)
पदार्थ
(एषाम्) इन वीरों का (अञ्जि, समानम्) व्यञ्जक चिह्न एक सा ही होता है (अधिबाहुषु) बाहुमूलों में (रुक्मासः, भ्राजन्ते) सुवर्णमय परिचय करानेवाले भूषण शोभा को बढ़ाते हैं तथा (ऋष्टयः) हाथों में शक्ति, शूल आदि शस्त्र (दविद्युतति) अत्यन्त प्रकाशमान होते हैं ॥११॥
भावार्थ
उपर्युक्त योद्धाओं का व्यञ्जक=द्योतक चिह्न एक जैसा होता है, बाहुमूलों में परिचय करानेवाले शोभायमान सुवर्ण के भूषण होते और हाथों में सूर्य्य की किरणसमान प्रकाशमान शस्त्र होते हैं, जो क्षात्रबल के प्रभाव को प्रकाशित करते हैं अर्थात् शूरवीर क्षत्रियों का स्वरूप शस्त्रास्त्रों से दिव्य शोभा को धारण करता है ॥११॥
विषय
पुनः वही विषय आ रहा है ।
पदार्थ
सेना एक प्रकार की हो, यह शिक्षा इससे देते हैं, यथा−(एषाम्) इन मरुद्गणों की (अञ्जि) गति (समानम्) समान हो । तथा (रुक्मासः) अन्यान्य सुवर्णमय आभरण भी समानरूप से (वि+भ्राजन्ते) शोभित हों । तथा (बाहुषु+अधि) बाहुओं के ऊपर (ऋष्टयः) शक्ति आदि नाना आयुध भी समानरूप से (दविद्युतति) अत्यन्त द्योतित हों ॥११ ॥
भावार्थ
सेना नाना अस्त्र-शस्त्रों से युक्त हो, किन्तु उनके कपड़े आदि सब एक ही हों ॥११ ॥
विषय
मरुतों अर्थात् वीरों, विद्वानों के कर्तव्य। वायु और जल लाने वाले वायु प्रवाहों के वर्णन।
भावार्थ
( एषां ) इन वीर पुरुषों के ( अञ्जि ) रूप, पोशाक और चिह्नादि सत्र ( समानम् ) समान हों। ( बाहुषु अधि) बाहुओं पर ( रुक्मासः ) सुवर्णीय, सुनहरी बैज (वि भ्राजन्ते ) विशेष रूप से चमकें और ( बाहुषु ) बाहुओं में ही ( ऋष्टयः ) शत्रुनाशक नाना शस्त्र भी ( दविद्युतति ) चमका करें।
टिप्पणी
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ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सोभरिः काण्व ऋषिः॥ मरुतो देवता॥ छन्द:—१, ५, ७, १९, २३ उष्णिक् ककुम् । ९, १३, २१, २५ निचृदुष्णिक् । ३, १५, १७ विराडुष्णिक्। २, १०, १६, २२ सतः पंक्ति:। ८, २०, २४, २६ निचृत् पंक्ति:। ४, १८ विराट् पंक्ति:। ६, १२ पादनिचृत् पंक्ति:। १४ आर्ची भुरिक् पंक्ति:॥ षड्विंशर्चं सूक्तम्॥
विषय
वीर सैनिकों का समान वेष [uniform]
पदार्थ
[१] (ऐषाम्) = इन वीर सैनिकों का (अञ्जि) = रूप व्यञ्जक पोशाक (समानम्) = समान है। सब समान वेष को धारण किये हुए हैं [uniform ] । इन की (बाहुषु अधि) = भुजाओं पर (रुक्मासः) = सोने के बने दीप्त अंगद [भूषणविशेष व पदक] (विभ्राजन्ते) = विशेषरूप से चमक रहे हैं। [२] इन के हाथों में (ऋष्टयः) = शत्रु नाशक अस्त्र (दविद्युतति) = चमकते हैं। इन की चमक शत्रुओं की आँखों को चुँधियानेवाली होती है।
भावार्थ
भावार्थ- वीर सेनानी समान वेष में खूब ही रोबीले प्रतीत होते हैं। इन की भुजाओं पर स्वर्ण के पदक तथा हाथों में शत्रु नाशक अस्त्र इन की दीप्ति को बढ़ानेवाले होते हैं।
इंग्लिश (1)
Meaning
The turn out, uniform and movement of these Maruts is steady and alike. So are their golden badges on the shoulders, and their weapons too shine uniformly in their hands.
मराठी (1)
भावार्थ
सेनेने नाना अस्त्र-शस्त्रांनी युक्त व्हावे; परंतु त्यांचे कपडे (गणवेश) इत्यादी सर्व एक असावे. ॥११॥
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