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ऋग्वेद मण्डल - 8 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 7/ मन्त्र 16
    ऋषिः - पुनर्वत्सः काण्वः देवता - मरूतः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    ये द्र॒प्सा इ॑व॒ रोद॑सी॒ धम॒न्त्यनु॑ वृ॒ष्टिभि॑: । उत्सं॑ दु॒हन्तो॒ अक्षि॑तम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ये । द्र॒प्साःऽइ॑व । रोद॑सी॒ इति॑ । धम॑न्ति । अनु॑ । वृ॒ष्टिऽभिः॑ । उत्स॑म् । दु॒हन्तः॑ । अक्षि॑तम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ये द्रप्सा इव रोदसी धमन्त्यनु वृष्टिभि: । उत्सं दुहन्तो अक्षितम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ये । द्रप्साःऽइव । रोदसी इति । धमन्ति । अनु । वृष्टिऽभिः । उत्सम् । दुहन्तः । अक्षितम् ॥ ८.७.१६

    ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 7; मन्त्र » 16
    अष्टक » 5; अध्याय » 8; वर्ग » 21; मन्त्र » 1
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    संस्कृत (2)

    पदार्थः

    (ये) ये योधाः (अक्षितम्, उत्सम्) अक्षीणमुत्साहम् (दुहन्तः) उत्पादयन्तः (द्रप्सा इव) उदबिन्दव इव संहताः सन्तः (वृष्टिभिः) शस्त्रवर्षैः (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (अनुधमन्ति) शब्दायमाने कुर्वन्ति ॥१६॥

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    विषयः

    प्राणान् स्तुवन्ति ।

    पदार्थः

    ये मरुतः । द्रप्साः+इव=आग्नेयकणा इव । वृष्टिभिर्वर्षणैः । रोदसी=द्यावापृथिव्यौ । अनुधमन्ति=साकल्येन नादयन्ति । ते विज्ञातव्या इत्यर्थः । किं कुर्वन्तः । अक्षितम्=अक्षीणम् । उत्सम्=मेघमानन्दञ्च । दुहन्तः=उत्पादयन्तः ॥१६ ॥

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    हिन्दी (2)

    पदार्थ

    (ये) जो योद्धा लोग (अक्षितम्, उत्सम्) अक्षीण उत्साह को (दुहन्तः) दुहते हुए (द्रप्सा इव) जलबिन्दुओं के समूह समान एकमत होकर (वृष्टिभिः) शस्त्रों की वर्षा से (रोदसी) द्युलोक और पृथिवी को (अनुधमन्ति) शब्दायमान कर देते हैं ॥१६॥

    भावार्थ

    जिन योद्धाओं के अस्त्र-शस्त्ररूप बाणवृष्टि से नभोमण्डल पूर्ण हो जाता है, उन्हीं से अपनी रक्षा की भिक्षा माँगनी चाहिये ॥१६॥

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    विषय

    प्राणों की स्तुति कहते हैं ।

    पदार्थ

    (द्रप्साः+इव) आग्नेय कणों के समान दीप्तिमान् और गतिमान् (ये) जो बाह्य मरुद्गण (अक्षितम्) अक्षीण (उत्सम्) मेघ को (दुहन्तः) उत्पन्न करते हुए (वृष्टिभिः) वृष्टि द्वारा (रोदसी) पृथिवी और अन्तरिक्ष दोनों को (अनु+धमन्ति) नादित कर देते हैं अर्थात् पृथिवी और आकाश में वायु के चलने और वृष्टि के होने से महान् नाद उत्पन्न होता है ॥१६ ॥

    भावार्थ

    हे मनुष्यों ! जैसे वायु से जगत् को लाभ पहुँचता है, तद्वत् आप भी मनुष्य में लाभ पहुँचाया कीजिये, अध्यात्म में भी इसको लगाना चाहिये ॥१६ ॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Milking the imperishable cloud of space oceans like the cow, they sprinkle heaven and earth with rain like showers of elixir.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    ज्या योद्ध्यांच्या अस्त्रशस्त्ररूपी बाणवृष्टीने नभोमंडळ व्यापते. त्यांच्यासमोरच आपल्या रक्षणाची याचना केली पाहिजे. ॥१६॥

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