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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 31 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 31/ मन्त्र 4
    ऋषिः - गोतमोः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    आ प्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वत॑: सोम॒ वृष्ण्य॑म् । भवा॒ वाज॑स्य संग॒थे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । प्या॒य॒स्व॒ । सम् । ए॒तु॒ । ते॒ । वि॒श्वतः॑ । सो॒म॒ । वृष्ण्य॑म् । भव॑ । वाज॑स्य । स॒म्ऽग॒थे ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ प्यायस्व समेतु ते विश्वत: सोम वृष्ण्यम् । भवा वाजस्य संगथे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ । प्यायस्व । सम् । एतु । ते । विश्वतः । सोम । वृष्ण्यम् । भव । वाजस्य । सम्ऽगथे ॥ ९.३१.४

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 31; मन्त्र » 4
    अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 21; मन्त्र » 4
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (सोम) हे समस्तस्य जगतः कर्तः परमात्मन् ! (ते वृष्ण्यम्) सर्वाभिलाषदं भवत ऐश्वर्य्यं (विश्वतः) सर्वतः (समेतु) अस्मान् प्राप्नोतु अथ च भवान् (आ प्यायस्व) अस्मान् सर्वप्रकारेण वर्धय तथा (वाजस्य सङ्गथे) ऐश्वर्यनिमित्तके सङ्ग्रामे (भव) नः  सहायको भव ॥४॥

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    हिन्दी (3)

    पदार्थ

    (सोम) हे सम्पूर्ण संसार के उत्पादक परमात्मन् ! (ते वृष्ण्यम्) सब कामनाओं की वर्षा करनेवाला तुम्हारा ऐश्वर्य्य (विश्वतः) सब और से (समेतु) हमको प्राप्त हो और आप (आ प्यायस्व) सब प्रकार से हमारी वृद्धि करें तथा (वाजस्य सङ्गथे) एश्वर्यनिमित्तक संग्रामों में आप (भव) हमारे संगी बने ॥४॥

    भावार्थ

    जो लोग एकमात्र परमात्मा को अपना आधार बनाते हैं, वे सब प्रकार से ऐश्वर्य्यशाली होते हैं और संग्रामजनित विपत्तियों में परमात्मा उनकी सहायता करता है ॥४॥

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    विषय

    वाजयुक्त जीवन

    पदार्थ

    [१] हे (सोम) = वीर्यशक्ते ! तू गत मन्त्र के अनुसार प्राणायाम व स्वाध्याय के द्वारा शरीर में (आप्यायस्व) = आप्यायित हो । (ते) = तेरा (वृष्ण्यम्) = बल (विश्वतः समेतु) = सब ओर शरीर के अंग-प्रत्यंग में संगत हो । [२] तू (वाजस्य) शक्ति के संगथे मेल के निमित्त (भवा) = हो । तेरे सुरक्षित होने से हमारा जीवन वाजवाला [vigorous] शक्तिशाली हो ।

    भावार्थ

    भावार्थ- सुरक्षित सोम जीवन को वाजी [vigorous] बनाता है।

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    विषय

    उत्तम विद्वान् का शासन।

    भावार्थ

    हे (सोम) उत्तम शासक ! उत्तम विद्वन् ! अनुशास्तः ! ऐश्वर्यवन् ! तू (आ प्यायस्व) सब प्रकार से बढ़। (ते वृष्ण्यम् विश्वतः सम् एतु) तुझे बल, सामर्थ्य सब ओर से प्राप्त हो। तू (वाजस्य संगथे भव) ज्ञान, ऐश्वर्य के प्राप्त करने में सदा सफल हो।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    गोतम ऋषिः॥ पवमानः सोमो देवता॥ छन्द:—१ ककुम्मती गायत्री। २ यवमध्या गायत्री। ३, ५ गायत्री। ४, ६ निचृद् गायत्री॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Glory be to you, Soma, pray promote and exalt us, may your exalted shower of blessings come from all round. O lord, be with us in all our battles of peace, progress and prosperity.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    जे लोक परमेश्वराला आपला आधार मानतात ते सर्व प्रकारे ऐश्वर्यवान असतात. युद्धासारख्या विपत्तीमध्ये परमेश्वर त्यांना साह्य करतो. ॥४॥

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