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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 4 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 4/ मन्त्र 4
    ऋषि: - हिरण्यस्तूपः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    पवी॑तारः पुनी॒तन॒ सोम॒मिन्द्रा॑य॒ पात॑वे । अथा॑ नो॒ वस्य॑सस्कृधि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पवी॑तारः । पु॒नी॒तन॑ । सोम॑म् । इन्द्रा॑य । पात॑वे । अथ॑ । नः॒ । वस्य॑सः । कृ॒धि॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पवीतारः पुनीतन सोममिन्द्राय पातवे । अथा नो वस्यसस्कृधि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पवीतारः । पुनीतन । सोमम् । इन्द्राय । पातवे । अथ । नः । वस्यसः । कृधि ॥ ९.४.४

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 4; मन्त्र » 4
    अष्टक » 6; अध्याय » 7; वर्ग » 22; मन्त्र » 4
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (पवीतारः) हे विद्वांसः ! यूयं (इन्द्राय, पातवे) ऐश्वर्य्याधिकारिणे पुरुषाय (सोमम्) सौम्यस्वभावं परमात्मानं (पुनीतन) वर्णयत (अथ) अथेदं प्रार्थयध्वं यत् (नः) अस्मान् स परमात्मा (वस्यसः, कृधि) मोक्षानन्दभाजः करोतु ॥४॥

    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (पवीतारः) हे विद्वान् लोगो ! तुम (इन्द्राय पातवे) ऐश्वर्य्याधिकारी पुरुष के लिये (सोमम्) सौम्यस्वभाववाले परमात्मा का (पुनीतन) वर्णन करो (अथ) और यह प्रार्थना करो कि (नः) हमको वह परमात्मा (वस्यसस्कृधि) मोक्षसुख का भागी बनाए ॥४॥

    भावार्थ

    विद्वान् लोग जब किसी पुरुष को दीक्षित करें, तो शान्त्यादि गुणसम्पन्न परमात्मा का सबसे प्रथम उपदेश करें। तदनन्तर अभ्युदय और निःश्रेयस का विस्तृत उपदेश करके इस सांसारिक यात्रा में दक्ष बनाएँ ॥४॥

    English (1)

    Meaning

    O sages, harbingers of purity, purify and enhance the soma spirit of peace and joy for Indra, the growth of power, protection and excellence of the world and thus make us happy and prosperous more and ever more.

    मराठी (1)

    भावार्थ

    विद्वान लोकांनी एखाद्या पुरुषाला संस्कारित करावयाचे असेल तर शांती इत्यादी गुणसंपन्न परमेश्वराचा उपदेश करावा नंतर अभ्युदय व नि:श्रेयसचा विस्तृत उपदेश करून या सांसारिक यात्रेत दक्ष बनवावे ॥४॥

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