साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 60/ मन्त्र 3
अति॒ वारा॒न्पव॑मानो असिष्यदत्क॒लशाँ॑ अ॒भि धा॑वति । इन्द्र॑स्य॒ हार्द्या॑वि॒शन् ॥
स्वर सहित पद पाठअति॑ । वारा॑न् । पव॑मानः । अ॒सि॒स्य॒द॒त् । क॒लशा॑न् । अ॒भि । धा॒व॒ति॒ । इन्द्र॑स्य । हार्दि॑ । आ॒ऽवि॒शन् ॥
स्वर रहित मन्त्र
अति वारान्पवमानो असिष्यदत्कलशाँ अभि धावति । इन्द्रस्य हार्द्याविशन् ॥
स्वर रहित पद पाठअति । वारान् । पवमानः । असिस्यदत् । कलशान् । अभि । धावति । इन्द्रस्य । हार्दि । आऽविशन् ॥ ९.६०.३
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 60; मन्त्र » 3
अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 17; मन्त्र » 3
Acknowledgment
अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 17; मन्त्र » 3
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
हे जगदीश्वर ! भवान् (इन्द्रस्य हार्दि आविशन्) विज्ञानिनां हृदये निवसन् (वारान् अति पवमानः) स्वोपासकानतिपवित्रयन् (कलशान् अभि धावति) तेषामन्तःकरणेषु स्वयं प्रादुर्भवन् (असिष्यदत्) सर्वत्र स्वस्यन्दनशीलशक्तिभिः पूरितोऽस्ति ॥३॥
हिन्दी (1)
पदार्थ
हे परमात्मन् ! आप (इन्द्रस्य हार्दि आविशन्) विज्ञानी के हृदय में निवास करते हुए (वारान् अति पवमानः) अपने उपासकों को अत्यन्त पवित्र करते हुए (कलशान् अभि धावति) उनके अन्तःकरणों में आप प्रादुर्भूत होते हुए (असिष्यदत्) सर्वत्र अपनी स्यन्दनशील शक्तियों से पूरित हैं ॥३॥
भावार्थ
परमात्मा ज्ञानप्रद होकर शुद्धान्तःकरणों में सदैव विराजमान रहता है, इसलिये परमात्मज्ञान के लिये बुद्धि का निर्मल करना अत्यावश्यक है ॥३॥
English (1)
Meaning
Soma, lord supreme of the dynamic flow of life, giver of choicest favours, pervading and shining at the core of human heart and soul, manifests and vitalises all forms of existence.
मराठी (1)
भावार्थ
परमात्मा ज्ञानप्रद असून शुद्ध अन्त:करणात सदैव विराजमान असतो. त्यासाठी परमात्म्याच्या ज्ञानासाठी बुद्धी निर्मल करणे अत्यावश्यक आहे. ॥३॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal