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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 67 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 67/ मन्त्र 25
    ऋषिः - पवित्रो वसिष्ठो वोभौः वा देवता - अग्निः सविता वा छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    उ॒भाभ्यां॑ देव सवितः प॒वित्रे॑ण स॒वेन॑ च । मां पु॑नीहि वि॒श्वत॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒भाभ्या॑म् । दे॒व॒ । स॒वि॒तः॒ । प॒वित्रे॑ण । स॒वेन॑ । च॒ । माम् । पु॒नी॒हि॒ । वि॒श्वतः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उभाभ्यां देव सवितः पवित्रेण सवेन च । मां पुनीहि विश्वत: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उभाभ्याम् । देव । सवितः । पवित्रेण । सवेन । च । माम् । पुनीहि । विश्वतः ॥ ९.६७.२५

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 67; मन्त्र » 25
    अष्टक » 7; अध्याय » 2; वर्ग » 17; मन्त्र » 5
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (देव) प्रशंसनीयगुण परमात्मन् ! (सवितः) हे सर्वजनक ! त्वं (उभाभ्याम्) ज्ञानयोगकर्मयोगाभ्यां (माम्) मां (विश्वतः) परितः (पुनीहि) पवित्रय। (च) अथ च (पवित्रेण) शुद्धेन (सवेन) ब्रह्मभावेन मां पवित्रय ॥२५॥

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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (देव) दिव्यगुणसंपन्न परमात्मन् ! (सवितः) हे सर्वोत्पादक ! आप (उभाभ्यां) ज्ञानयोग तथा कर्मयोग द्वारा (मां) मुझको (विश्वतः) सब ओर से (पुनीहि) पवित्र करिए (च) और (पवित्रेण) पवित्र (सवेन) ब्रह्मभाव से मुझे पवित्र करिए ॥२५॥

    भावार्थ

    जो लोग अपने में ज्ञानयोग और कर्मयोग की न्यूनता समझते हैं, वे परमात्मा से ज्ञानयोग तथा कर्मयोग की प्रार्थना करें ॥२५॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    O Agni, Savita, self-refulgent lord of light and creative energy, by both your purifying radiations and the creative living vitality your radiations bear, purify, sanctify, energise and vitalise me all round, all ways.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    जे लोक स्वत:मध्ये ज्ञानयोग व कर्मयोगाची न्यूनता समजतात. त्यांनी परमात्म्याला ज्ञानयोग व कर्मायोगासाठी प्रार्थना करावी. ॥२५॥

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