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यजुर्वेद अध्याय - 12

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  • यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 112
    ऋषिः - गोतम ऋषिः देवता - सोमो देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    165

    आप्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वतः॑ सोम॒ वृष्ण्य॑म्। भवा॒ वाज॑स्य सङ्ग॒थे॥११२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ। प्या॒य॒स्व॒। सम्। ए॒तु॒। ते॒। वि॒श्वतः॑। सो॒म॒। वृष्ण्य॑म्। भव॑। वाज॑स्य। स॒ङ्ग॒थ इति॑ सम्ऽग॒थे ॥११२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ प्यायस्व समेतु ते विश्वतः सोम वृष्ण्यम् । भवा वाजस्य सङ्थे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आ। प्यायस्व। सम्। एतु। ते। विश्वतः। सोम। वृष्ण्यम्। भव। वाजस्य। सङ्गथ इति सम्ऽगथे॥११२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 12; मन्त्र » 112
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    संस्कृत (1)

    विषयः

    राजजनाः किं कृत्वा कीदृशा भवेयुरित्याह॥

    अन्वयः

    हे सोम! तादृशस्य विदुषः सङ्गात् ते वृष्ण्यं विश्वतः समेतु, तेन त्वमाप्यायस्व, वाजस्य वेत्ता सन् सङ्गथे विजयी भव॥११२॥

    पदार्थः

    (आ) (प्यायस्व) वर्धस्व (सम्) (एतु) सङ्गच्छताम् (ते) तुभ्यम् (विश्वतः) सर्वतः (सोम) चन्द्र इव वर्त्तमान (वृष्ण्यम्) वृष्णो वीर्यवतः कर्म (भव) द्वयचोऽतस्तिङः [अष्टा॰६.३.१३५] इति दीर्घः (वाजस्य) विज्ञानवेगयुक्तस्य स्वामिन आज्ञया (सङ्गथे) संग्रामे। [अयं मन्त्रः शत॰७.३.१.४६ व्याख्यातः]॥११२॥

    भावार्थः

    राजपुरुषैनित्यं वीर्य्यं वर्धयित्वा विजयेन भवितव्यम्॥११२॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    राजपुरुष क्या करके कैसे हों, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे (सोम) चन्द्रमा के समान कान्तियुक्त राजपुरुष! जैसे सोम गुणयुक्त विद्वान् के सङ्ग से (ते) तेरे लिये (वृष्ण्यम्) वीर्य्य पराक्रम वाले पुरुष के कर्म को (विश्वतः) सब ओर से (समेतु) सङ्गत हो, उससे आप (आप्यायस्व) बढि़ये, (वाजस्य) विज्ञान और वेग से संग्राम के जाननेहारे स्वामी की आज्ञा से (सङ्गथे) युद्ध में विजय करने वाले (भव) हूजिये॥११२॥

    भावार्थ

    राजपुरुषों को नित्य पराक्रम बढ़ा के शत्रुओं से विजय को प्राप्त होना चाहिये॥११२॥

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    विषय

    राजा के कर्त्तव्य । पक्षान्तर में विद्वान् और गृहपति के कर्त्तव्य ।

    भावार्थ

    हे ( सोम ) राजन् ! ( ते ) तेरा ( वृष्णयम् ) प्रताप बलशाली कार्य (विश्वतः सर्वत्र (सम - एतु) प्राप्त हो । तू (विश्वतः आप्यायस्व ) सब प्रकार से बुद्धि को प्राप्त हो और ( वाजस्य ) वीर्यवान्, वेग या ऐश्वर्य के निमित्त होनेवाले ( सङ्गथे ) संग्राम में तू विजयी ( भव ) हो ।शत० ७। ३। १ । ४६ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    गोतम ऋषिः सोमो | देवता । निचृद् गायत्री । षड्जः ॥

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    विषय

    वाजस्य सङ्गथे

    पदार्थ

    गत मन्त्र के अनुसार अपने आराधक से प्रभु कहते हैं - १. (आप्यायस्व) = तू समन्तात् वर्धनवाला हो। उन्नति तेरा स्वभाव हो । तेरा शरीर बढ़ी हुई शक्तियोंवाला हो, तेरा हृदय भी विशाल हो, तेरा ज्ञान भी खूब बढ़ा हुआ हो। २. हे (सोम) = सौम्य व विनीत! (ते) = तुझे (विश्वतः) = सब ओर से, सब सेवनीय पदार्थों से (वृष्ण्यम्) = [वीर्य] शक्ति समेतु प्राप्त हो । इसी शक्ति से ही तो तेरा आप्यायन व वर्धन होता है। ३. इस शक्ति को प्राप्त करके तू (वाजस्य) = त्याग व ज्ञान के (सङ्गथे) = मेल में (भव) = हो। 'शक्ति' एक ओर तेरा आप्यायन करनेवाली हो और दूसरी ओर यह तुझे त्याग व ज्ञान से युक्त करे। ४. वस्तुतः प्रभु-भक्त वही होता है जो [क] बढ़ी हुई शक्तियोंवाला हो। [ख] सौम्य होता हुआ वीर्यवान् हो । [ग] त्याग व ज्ञान से युक्त हो। ऐसे पुरुष की सब इन्द्रियाँ बड़ी उत्तम होती हैं, इसी से वह 'गौतम' कहलाता है- अत्यन्त प्रशस्त इन्द्रियोंवाला ।

    भावार्थ

    भावार्थ- प्रभु-शक्ति मनुष्य का वर्धन करनेवाली होती है। उसे सौम्य व सशक्त करती है। यह ज्ञानी बनकर त्यागशील होता है।

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    राजपुरुषांनी नेहमी पराक्रमात वाढ करून शत्रूंवर विजय मिळवावा.

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    विषय

    राजपुरुषांनी कसे असावे आणि काय करावे, पुढील मंत्रात याविषयी कथन केले आहे -

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे (सोम) चन्द्राप्रमाणे कान्तिमान राजपुरुषा, सोमगुणयुक्त विद्वानाच्या सहाय्याने (ते) तुला (वृष्ण्यम्‌) शक्ती-पराक्रम पूर्ण कर्म करण्यासाठी (विश्‍वत:) सर्व प्रकारे (समेतु) सहकार्य अन संगती प्राप्त होवो. त्याच्या साहाय्याने तू (आप्यायस्व) उन्नती कर. तसेच (वाजस्य) विज्ञानाद्वारे शीघ्र युद्ध कला शिकून तू (संगने) युद्धात विजयी (भव) हो. (राजपुरुष, अधिकारी आदींनी राष्ट्रातील विद्वानांच्या मंत्रणेप्रमाणे युद्धादी कर्म करावेत) ॥112॥

    भावार्थ

    भावार्थ - राजपुरुषांनी (सेनापती, सैनिक आणि अधिकाऱ्यांनी) नित्य पराक्रमयुक्त करावेत आणि शत्रूंवर विजय मिळवावा. ॥112॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    O king, may thy power spread in all directions. May thou advance. May thou the master of knowledge and the science of fighting, succeed in all battles.

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    Meaning

    Soma, ruler, man of grace and blessedness, rise and grow to excellence to win the glory of life. May the vitality, virility and grandeur of life come to you from all sides, and, in the battles of life and the nation, be great.

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    Translation

    O blissful Lord, may you wax here. May all the powers of vigour come and unite in you. May you be the meeting point of strength. (1)

    Notes

    . Sangathe, संगमने, at the meeting point. संग्रामे, іп ће battle. Vaja, Uvata and Mahidhara interpret mostly vaja as food, but we prefer it as strength or battle.

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    बंगाली (1)

    विषय

    রাজজনাঃ কিং কৃত্বা কীদৃশা ভবেয়ুরিত্যাহ ॥
    রাজপুরুষ কী করিয়া কেমন হইবে এই বিষয় পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ- হে (সোম) চন্দ্রমার সমান কান্তিযুক্ত রাজপুরুষ ! যেমন সোমগুণযুক্ত বিদ্বানের সঙ্গের ফলে (তে) তোমার জন্য (বৃষ্ণম্) বীর্য্য পরাক্রমযুক্ত পুরুষের কর্মকে (বিশ্বতঃ) সকল দিক হইতে (সমেতু) সঙ্গত হয় তদ্দ্বারা আপনি (আপ্যায়স্ব) বৃদ্ধি প্রাপ্ত হউন (বাজস্য) বিজ্ঞান ও বেগ পূর্বক সংগ্রামের জ্ঞাতা স্বামীর আজ্ঞায় (সঙ্গথে) যুদ্ধে বিজয়কারী (ভব) হউন ॥ ১১২ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ- রাজপুরুষদিগকে নিত্য পরাক্রম বৃদ্ধি করাইয়া শত্রুদিগকে জয় করা উচিত ॥ ১১২ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    আ প্যা॑য়স্ব॒ সমে॑তু তে বি॒শ্বতঃ॑ সোম॒ বৃষ্ণ্য॑ম্ ।
    ভবা॒ বাজ॑স্য সংগ॒থে ॥ ১১২ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    আপ্যায়স্বেত্যস্য গোতম ঋষিঃ । সোমো দেবতা । নিচৃদ্ গায়ত্রী ছন্দঃ ।
    ষড্জঃ স্বরঃ ॥

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