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यजुर्वेद अध्याय - 16

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  • यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 28
    ऋषिः - कुत्स ऋषिः देवता - रुद्रा देवताः छन्दः - आर्षी जगती स्वरः - निषादः
    233

    नमः॒ श्वभ्यः॒ श्वप॑तिभ्यश्च वो॒ नमो॒ नमो॑ भ॒वाय॑ च रु॒द्राय॑ च॒ नमः॑ श॒र्वाय॑ च पशु॒पत॑ये च॒ नमो॒ नील॑ग्रीवाय च शिति॒कण्ठा॑य च॥२८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नमः॑। श्वभ्य॒ इति॒ श्वऽभ्यः॑। श्वप॑तिभ्य॒ इति॒ श्वप॑तिऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। भ॒वाय॑। च॒। रु॒द्राय॑। च॒। नमः॑। श॒र्वाय॑। च॒। प॒शु॒पत॑य॒ इति॑ पशु॒ऽपत॑ये। च॒। नमः॑। नील॑ग्रीवा॒येति॒ नील॑ऽग्रीवाय। च॒। शि॒ति॒कण्ठा॒येति॑ शिति॒ऽकण्ठा॑य। च॒ ॥२८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च नमः कपर्दिने ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    नमः। श्वभ्य इति श्वऽभ्यः। श्वपतिभ्य इति श्वपतिऽभ्यः। च। वः। नमः। नमः। भवाय। च। रुद्राय। च। नमः। शर्वाय। च। पशुपतय इति पशुऽपतये। च। नमः। नीलग्रीवायेति नीलऽग्रीवाय। च। शितिकण्ठायेति शितिऽकण्ठाय। च॥२८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 16; मन्त्र » 28
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    मनुष्यैः केभ्यः कथमुपकारो ग्राह्य इत्याह॥

    अन्वयः

    हे मनुष्याः! यथा वयं परीक्षकाः श्वभ्यो नमो वः श्वपतिभ्यो नमश्च, भवाय नमश्च रुद्राय नमश्च शर्वाय नमश्च नमश्च पशुपतये नीलग्रीवाय नमश्च शितिकण्ठाय नमश्च दद्याम कुर्याम तथा यूयमपि दत्त कुरुत च॥२८॥

    पदार्थः

    (नमः) अन्नम् (श्वभ्यः) कुक्कुरेभ्यः (श्वपतिभ्यः) शुनां पालकेभ्यः (च) (वः) (नमः) अन्नं सत्करणं च (नमः) सत्करणम् (भवाय) यः शुभगुणादिषु भवति तस्मै (च) (रुद्राय) दुष्टानां रोदकाय (च) (नमः) अन्नादिकम् (शर्वाय) हिंसकाय (च) (पशुपतये) गवादिपशुपालकाय (च) (नमः) अन्नम् (नीलग्रीवाय) नीलः शोभनो वर्णो ग्रीवायां यस्य तस्मै (च) (शितिकण्ठाय) शितिस्तीक्ष्णीभूतः कृष्णो वा कण्ठो यस्य तस्मै (च)॥२८॥

    भावार्थः

    मनुष्यैः श्वादिपशूनन्नादिदानेन वर्द्धयित्वा तैरुपकारो ग्राह्यः। पशुपालकादीनां सत्कारश्च कार्यः॥२८॥

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    हिन्दी (3)

    विषय

    मनुष्य लोग किन से कैसा उपकार लेवें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे मनुष्यो! जैसे हम परीक्षक लोग (श्वभ्यः) कुत्तों को (नमः) अन्न देवें (च) और (वः) तुम (श्वपतिभ्यः) कुत्तों को पालने वालों को (नमः) अन्न देवें तथा सत्कार करें (च) तथा (भवाय) जो शुभगुणों में प्रसिद्ध हो उस जन का (नमः) सत्कार (च) और (रुद्राय) दुष्टों को रुलाने हारे वीर का सत्कार (च) तथा (शर्वाय) दुष्टों को मारने वालों को (नमः) अन्नादि देते (च) और (पशुपतये) गौ आदि पशुओं के पालक को अन्न (च) और (नीलग्रीवाय) सुन्दर वर्ण वाले कण्ठ से युक्त (च) और (शितिकण्ठाय) तीक्ष्ण वा काले कण्ठ वाले को (नमः) अन्न देते और सत्कार करते हैं वैसे तुम भी दिया, किया करो॥२८॥

    भावार्थ

    मनुष्यों को चाहिये कि कुत्ते आदि पशुओं को अन्नादि से बढ़ा के उनसे उपकार लेवें और पशुओं के रक्षकों का सत्कार भी करें॥२८॥

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    विषय

    नाना रुद्रों अधिकारियों का वर्णन ।

    भावार्थ

    ( श्वभ्यः ) कुत्ते अथवा कुत्तों के समान चोरों का पता लगाने वाले, (श्वपतिभ्यः ) कुत्तों के पालक इन ( वः नमः ) तुम सबको पालन योग्य वेतन, अन्नादि प्राप्त हो । ( भवाय ) गुणों के श्रेष्ठ, या पुत्रोंत्पादन में समर्थ, ( रुद्राय ) शत्रुओं को रुलाने वाला, ( पशुपतये ) पशुओं के पालक ( नीलग्रीवाय ) गले में नील चिन्ह के धारक (शितिकण्ठाय ) श्वेत वर्ण या चिन्ह को कण्ठ में धारण करने वाला, इन सब को ( नमः ) उचित चिन्ह आदर, भोज्य अन्नादि प्राप्त हो ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    आर्षी जगती । निषादः ॥

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    विषय

    भव-रुद्र

    पदार्थ

    १. राष्ट्र में शिकार व पहरे आदि में उपयोगी, चोरी आदि के अन्वेषण में पुलिस की मदद करनेवाले (श्वभ्यः) = कुत्तों को (नमः) = अन्नादि द्वारा उचितरूप से आदृत करते हैं, (च) = और (वः) = आपके इन (श्वपतिभ्यः) = कुत्तों [Dog squads] को शिक्षित करनेवालों को (नमः) = हम आदर देते हैं। २. हम (नमः) = उस श्रेष्ठ गुण सम्पन्न ब्राह्मण का भी आदर करते हैं जो (भवाय) = [शुभगुणादि - द०] सदा उत्तम गुणों में ही निवास करता है (च) = और (रुद्राय) = [रुत् दुःखं द्रावयति] दुःख को दूर भगानेवाला है। ३. उस ब्राह्मण का नमः आदर करते हैं जो (शर्वाय) = [शृ हिंसायाम्] सब अशुभ वृत्तियों का संहार करनेवाला है (च) = तथा (पशुपतये) = [कामः पशुः, क्रोधः पशुः] काम, क्रोध आदि पाशव वृत्तियों को पूर्णरूप से अपने वश में रखता है, अथवा गवादि पशुओं का पालक है। ४. हम उस ब्राह्मण के लिए (नमः) = नमस्कार करते हैं जो नीलग्रीवाय विविध विद्याओं से सुभूषित ग्रीवावाला है (च) = तथा (शितिकण्ठाय) = शुद्ध कण्ठ- स्वरवाला है। जो कभी अपशब्दों का प्रयोग न करता हुआ सदा शुद्ध शब्दों का ही प्रयोग करता है।

    भावार्थ

    भावार्थ- हम राष्ट्र के उन ब्राह्मणों का आदर करते हैं जो सदा शुभ गुणों में निवास करनेवाले, ज्ञान देनेवाले, बुराइयों का संहार करनेवाले, काम-क्रोध को वशीभूत करनेवाले, विद्याविभूषित कण्ठवाले तथा शुद्ध कण्ठ स्वरवाले हैं।

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    माणसांनी कुत्र्यांना अन्न खाऊ घालून पोषण करावे व त्यांचा उपयोग करून घ्यावा, तसेच पशूंच्या रक्षकांचाही सन्मान करावा.

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    विषय

    मनुष्यांनी कोणाकडून कशाप्रकारे वा कोणते लाभ घ्यावेत, याविषयी-

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे मनुष्यांनो, ज्याप्रमाणे ----------------- (गुणांची व गुणीची ओळख असणारे) (श्वभ्य:) कुत्र्यांसाठी (नम:) अन्न देतो (च) आणि (व:) तुम्हा (श्वपतिभ्य:) कुत्र्यांचे पालन करणार्‍या लोकांकरिता (नम:) अन्न-धान्यादी देतो व त्यांचा सत्कार करतो (तसे तुम्ही सर्वजण देखील इतरांचा करा) (व) आणि आम्ही (भवाय) शुभगुणयुक्त व्यक्तींचा (नम:) सत्कार करतो (च) आणि (रुद्राय) दुष्टांना रडविणार्‍या वा मारणार्‍या वीरांचा सत्कार करतो, (च) तसेच (शवसि) दुष्टांचा वध करणार्‍यांना (नम:) अन्न-धान्यादी देतो, (च) आणि (नीलग्रीवाय) ज्याच्या ज्याच्या गळ्याचा वर्ण सुंदर व मोहक आहे, त्याला आणि (शितिकण्ठाय) ज्याच्या गळ्याचा रंग का आकार तीक्ष्ण वा काळा आहे, अशा व्यक्तींना (नम:) आही अन्न-धान्यादी देतो व त्यांचा सत्कार करतो आमच्याप्रमाणे तुम्ही सर्वांनादेखील केले पाहिजे ॥28॥

    भावार्थ

    भावार्थ - मनुष्यांसाठी (राज्यातील सर्व लोकांसाठी) हे आवश्यक आहे की त्यानी कुत्रा आदी उपयोगी पशूंना अन्न द्यावे (त्यांचे पालन करून) त्यांच्याकडून योग्य ती उपकारक कामे (गुन्हा-तपास, प्रहरीपण, आदी) करून घ्यावीत. तसेच अशा हितकारी पशूंच्या पालकांचा देखील यथोचित सत्कार करावा. ॥28॥

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    इंग्लिश (3)

    Meaning

    Food to the dogs, and to you the rearers of dogs. Homage to him well-known for noble characteristics. Homage to him who makes the wicked weep. Food to those who kill the depraved, and to those who rear the cattle. Homage to him with a beautiful neck, and to him with a black throat.

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    Meaning

    Food for the dogs, recognition and incentive for the breeders and trainers of dogs. Salutations to you all. Salutations to the lord creator of the world. Homage to the lord of maintenance with justice and retribution. Salutations to the ultimate destroyer. Salutations to the lord protector of the animals. Salutations to the lord of the blue clouds. Salutations to the lord of the mighty voice of thunder.

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    Translation

    Our homage be to dogs; (1) and to you, the masters of dogs, our homage be. (2) Our homage be to him, from whom all the beings are born; (3) and to the terrible punisher. (4) Our homage be to the killer of sin; (5) and to the lord of animals. (6) Our homage be to the dark-necked; (7) and to the sharp-voiced. (8)

    Notes

    Upto first part of this kandika, double homage was being offered with one namaḥ in the beginning and the other namaḥ at the end. Now onwards single homage is offered. Now names of Rudra are mentioned. Bhava, Rudra, Śarva denote different aspects of Rudra, the terrible punisher. Śitikanthaḥ, शितिः श्वेतः कण्ठः यस्य सः, white-throated. शिति धवलमेचकौ', white; also black. Also, शितिः तीक्ष्णीभूतः, sharp throated.

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    बंगाली (1)

    विषय

    মনুষ্যৈঃ কেভ্যঃ কথমুপকারো গ্রাহ্য ইত্যাহ ॥
    মনুষ্যগণ কাহাদের দ্বারা কেমন উপকার লইবে, এই বিষয় পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ।

    पदार्थ

    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! যেমন আমরা পরীক্ষকগণ (শ্বভ্যঃ) কুকুরদেরকে (নমঃ) অন্ন দিয়া থাকি (চ) এবং (বঃ) তোমা (শ্বপতিভ্যঃ) কুকুরদেরকে পালনকারীদিগকে (নমঃ) অন্ন দিই তথা সৎকার করি (চ) তথা (ভবায়) যে শুভগুণে প্রসিদ্ধ হয় সেই ব্যক্তির (নমঃ) সৎকার (চ) এবং (রুদ্রায়) দুষ্টদেরকে রোদন করায় যে সে বীরের সৎকার (চ) তথা (শর্বায়) দুষ্টদিগকে নিধনকারীগণকে (নমঃ) অন্নাদি প্রদান করি (চ) এবং (পশুপতয়ে) গাভি আদি পশুদের পালককে অন্ন (চ) এবং (নীলগ্রীবায়) সুন্দর বর্ণে শোভিত কণ্ঠযুক্ত (চ) এবং (শিতিকণ্ঠায়) তীক্ষ্ন বা কৃষ্ণ কণ্ঠযুক্তকে (নমঃ) অন্ন দান করি এবং সৎকার করি সেইরূপ তোমরাও দিতে এবং করিতে থাকিবে ॥ ২৮ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–মনুষ্য দিগের উচিত যে, কুকুরাদি পশুগুলিকে অন্নাদি দ্বারা বৃদ্ধি করাইয়া তদ্দ্বারা উপকার লইবে এবং পশুদের রক্ষকদের ও সৎকারও করিবে ॥ ২৮ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    নমঃ॒ শ্বভ্যঃ॒ শ্বপ॑তিভ্যশ্চ বো॒ নমো॒ নমো॑ ভ॒বায়॑ চ রু॒দ্রায়॑ চ॒ নমঃ॑ শ॒র্বায়॑ চ পশু॒পত॑য়ে চ॒ নমো॒ নীল॑গ্রীবায় চ শিতি॒কণ্ঠা॑য় চ ॥ ২৮ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    নমঃ শ্বভ্য ইত্যস্য কুৎস ঋষিঃ । রুদ্রা দেবতাঃ । আর্ষী জগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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