Loading...
यजुर्वेद अध्याय - 27

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 27/ मन्त्र 9
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अश्व्यादयो देवताः छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    81

    अ॒मु॒त्र॒भूया॒दध॒ यद्य॒मस्य॒ बृह॑स्पतेऽ अ॒भिश॑स्ते॒रमु॑ञ्चः।प्रत्यौ॑हताम॒श्विना॑ मृ॒त्युम॑स्माद् दे॒वाना॑मग्ने भि॒षजा॒ शची॑भिः॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒मु॒त्र॒भूया॒दित्य॑मुत्र॒ऽभूया॑त्। अध॑। यत्। य॒मस्य॑। बृह॑स्पते। अ॒भिश॑स्ते॒रित्य॒भिऽश॑स्तेः। अमु॑ञ्चः। प्रति॑। औ॒ह॒ता॒म्। अ॒श्विना॑। मृ॒त्युम्। अ॒स्मा॒त्। दे॒वाना॑म्। अ॒ग्ने॒। भि॒षजा॑। शची॑भिः ॥९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अमुत्रभूयादध यद्यमस्य बृहस्पतेऽअभिसस्तेरमुञ्चः । प्रत्औहतामश्विना मृत्युमस्माद्देवानामग्ने भिषजा शचीभिः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अमुत्रभूयादित्यमुत्रऽभूयात्। अध। यत्। यमस्य। बृहस्पते। अभिशस्तेरित्यभिऽशस्तेः। अमुञ्चः। प्रति। आैहताम्। अश्विना। मृत्युम्। अस्मात्। देवानाम्। अग्ने। भिषजा। शचीभिः॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 27; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    अथाध्यापकोपदेशकैः किं कार्यमित्याह॥

    अन्वयः

    हे बृहस्पते! त्वममुत्रभूयादभिशस्तेरेनममुञ्चः। अध यद्यो यमस्य शासने तिष्ठेत् तस्य मृत्युममुञ्चः। हे अग्ने! त्वं यथाऽश्विना शचीभिर्भिषजा प्रत्यौहतां तथाऽस्माद् देवानामारोग्यं सम्पादय॥९॥

    पदार्थः

    (अमुत्रभूयात्) परजन्मनि भाविनः। अत्रामुत्रोपपदाद् भूधातो क्यप्। (अध) अथ (यत्) (यमस्य) नियन्तुः (बृहस्पते) महतां पालक (अभिशस्तेः) सर्वतोऽपराधात् (अमुञ्चः) मुच्याः (प्रति) (औहताम्) वितर्केण साध्नुताम् (अश्विना) अध्यापकोपदेशकौ (मृत्युम्) (अस्मात्) (देवानाम्) (अग्ने) सद्वैद्य (भिषजा) औषधानि (शचीभिः) कर्मभिः प्रज्ञाभिर्वा॥९॥

    भावार्थः

    अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। त एव श्रेष्ठा अध्यापकोपदेशका येऽत्र परत्र च सुखाय सर्वान् सुशिक्षयेयुः, येन ब्रह्मचर्यादीनि कर्माणि सेवयित्वा मनुष्या अल्पमृत्युमानन्दहानिं च नाप्नुयुः॥९॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    हिन्दी (2)

    विषय

    अब अध्यापक और उपदेशकों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहा है।

    पदार्थ

    हे (बृहस्पते) बड़ों के रक्षक विद्वन्! आप (अमुत्रभूयात्) परजन्म में होने वाले (अभिशस्तेः) सब प्रकार के अपराध से (अमुञ्चः) छूटिये। (अध) इस के अनन्तर (यत्) जो (यमस्य) धर्मात्मा नियमकर्त्ता जन की शिक्षा में रहे, उस के (मृत्युम्) मृत्यु को छुड़ाइये। हे (अग्ने) उत्तम वैद्य! आप जैसे (अश्विना) अध्यापक और उपदेशक (शचीभिः) कर्म वा बुद्धियों से (भिषजा) रोगनिवारक पदार्थों को (प्रति, औहताम्) विशेष तर्क से सिद्ध करें, वैसे (अस्मात्) इससे (देवानाम्) विद्वानों के आरोग्य को सिद्ध कीजिये॥९॥

    भावार्थ

    इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। वे ही श्रेष्ठ अध्यापक और उपदेशक हैं, जो इस लोक और परलोक में सुख होने के लिये सब को अच्छी शिक्षा करें, जिससे ब्रह्मचर्यादि कर्मों का सेवन कर मनुष्य अल्पावस्था में मृत्यु और आनन्द की हानि को न प्राप्त होवें॥९॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    बृहस्पति पद पर स्थित विद्वान् का वर्णन ।

    भावार्थ

    हे (बृहस्पते) बृहत्, बड़े राष्ट्र के पालक ! विद्वन्! ( यत् )जो (यमस्य ) राष्ट्र के नियन्ता राजा को ( अमुत्र - भूयात् ) अमुक, दूसरे देश में होने वाले (अभिशस्तेः) अपराध, अपवाद, लोकनिन्दा से (अध) और (यत्) भी जो अयुक्त बात हो उससे उसको ( अमुञ्चः) छुड़ा । हे (अग्ने) राजन् ! ( अश्विना ) विद्या में पारंगत 'अश्वी' नामक अधिकारीजन ( देवानां भिषजा ) विद्वान् पुरुषों में वैद्यों के समान सब राज्यगत दोषों के उपाय करने में कुशल होकर (शचीभिः) अपनी शक्तिशाली सेनाओं से (अस्मा ) इस राष्ट्र में ( मृत्युम् ) मृत्यु या मारने वाले दुष्ट जन को ( प्रति औहताम् ) यत्नपूर्वक दूर करें ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अश्व्यादयः । त्रिष्टुप् । धैवत : ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    मराठी (2)

    भावार्थ

    या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. श्रेष्ठ अध्यापक व उपदेशक यांनी इहलोक व परलोक यांचे सुख प्राप्त व्हावे यासाठी सर्वांना चांगले शिक्षण द्यावे. ज्यामुळे ब्रह्मचर्याचे पालन होऊन अल्पावस्थेत मृत्यू येणार नाही व आनंदाचा नाश होणार नाही.

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    अध्यापक आणि उपदेशक, यांनी काय करावे, याविषयी

    शब्दार्थ

    शब्दार्थ - हे (बृहस्पते) महान जनांचे ही रक्षण करणारे विद्वान, आपण (अमुत्रभूयात्) परजन्मात होणार्‍या वा (पुढील जन्मात होऊ शकणार्‍या संभावित) अपराध वा दुष्कर्मापासून (अमुञ्चः) मुक्त असा (पुढील जन्मात ही आपणांकडून कोणते दुष्कृत्य घडू नये) अध) त्यानंतर (यत्) जो कोणी (यमस्य धर्माला नियमकर्ता (अधिकार्‍याच्या वा गुरूच्या) आदेशाप्रमाणे वागणारा असेल, त्याला (मृत्युम्) मृत्यूपासून सोडवा. हे (अग्ने) उत्तम वैद्य, ज्याप्रमाणे (अश्‍विना) अध्यापक आणि उपदेशक (राचीभिः) उत्तम कर्माद्वारे व विचारांद्वारे (मानसिक वा आध्यात्मिक दोष दूर करतात) तद्वत आपण (भिषजा) रोगनिवारक औषधी (प्रति, औहताम्) विशेष रीतीने तयार करा आणि (अस्मात्) त्या औषधीने (देवानाम्) विद्वानांचे आरोग्य सुव्यस्थित ठेवा. ॥9॥

    भावार्थ

    भावार्थ - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमा अलंकार आहे. जे अध्यापक आणि उपदेशक सर्वांना इहलोक व परलोकामधे सुखी होण्याासाठी उत्तम शिक्षण-संस्कार देतात, तेच श्रेष्ठ असतात. त्यांनी यत्न करावे की ज्यायोगे लोक ब्रह्मचर्य-पालन करतील व अल्पावस्थेतच मृत्यूचे शिकार होणार नाहीत. असे केल्यामुळे त्यांची हानी होणार नाही. ॥9॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (3)

    Meaning

    O learned fellow, the guardian of big persons, be free from the fruit of sins in the next birth, Chase death far from him who follows the instruments of the religious and law-abiding persons. O skilled physician, just as the teacher and preacher achieve their aim by dint of deeds and wisdom, so shouldst thou skilfully prepare efficacious medicines, whereby thou preservest the health of the people.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Meaning

    Brihaspati, lord and saviour of all, guard the ruler against any curse or calumny or evil that may tarnish him in the life to come, and save him from any accusation or damnation of the law or constitution or Yama, the supreme and universal judge of human performance. Agni, lord of life and light, may the Ashvinis, nature’s powers of health, teachers, preachers and physicians, with their best actions and research, keep off the onslaughts of ill-health and fatality from him.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O adorable Lord Supreme, you have freed us from the curse of death, and from birth in the yonder world. May the two healers, curers of the learned ones, drive the death away from this sacrificer with their skill. (1)

    Notes

    Yamasya, of death; मृत्यो:I Amutrabhūyāt, from the birth in the yonder world; परलोके जन्मनः । Abhisasteh, from the curse of; अभिशापात् | Pratyauhatām, may the two (Asvins) drive away. Sacibhiḥ, with skills.

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (1)

    विषय

    অথাধ্যাপকোপদেশকৈঃ কিং কার্য়মিত্যাহ ॥
    এখন অধ্যাপক ও উপদেশকগণকে কী করা উচিত, এই বিষয় বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ–হে (বৃহস্পতে) মহৎদিগের রক্ষক বিদ্বান্! আপনি (অমুত্রভুয়াৎ) পরজন্মে ঘটিত হওয়ার (অভিশস্তেঃ) সর্ব প্রকার অপরাধ হইতে (অমুঞ্চঃ) মুক্ত হউন । (অধ) ইহার পশ্চাৎ (য়ৎ) যে (য়মস্য) ধর্মাত্মা নিয়মকর্ত্তা লোকদের শিক্ষায় থাকিবেন তাহাদের (মৃত্যুম্) মৃত্যু হইতে মুক্ত করুন । হে (অগ্নে) উত্তম বৈদ্য আপনি যেমন (অশ্বিনা) অধ্যাপক ও উপদেশক (শচীভিঃ) কর্ম্ম অথবা বুদ্ধিসমূহ দ্বারা (ভিষজা) রোগনিবারক পদার্থগুলিকে (প্রতি, ঔহতাম্) বিশেষ তর্ক দ্বারা সিদ্ধ করুন তদ্রূপ (অস্মাৎ) ইহা দ্বারা (দৈবানাম্) বিদ্বান্দিগের আরোগ্য প্রতিপন্ন করুন ॥ ঌ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ–এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । তাঁহারাই শ্রেষ্ঠ অধ্যাপক ও উপদেশক যাহারা এই লোকে ও পরলোকে সুখী হইবার জন্য সকলকে উত্তম শিক্ষা দিবেন যাহাতে ব্রহ্মচর্য্যাদি কর্ম্মের সেবন করিয়া মনুষ্য অল্পাবস্থায় মৃত্যু ও আনন্দের ক্ষতি প্রাপ্ত না হয় ॥ ঌ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    অ॒মু॒ত্র॒ভূয়া॒দধ॒ য়দ্য॒মস্য॒ বৃহ॑স্পতেऽ অ॒ভিশ॑স্তে॒রমু॑ঞ্চঃ ।
    প্রত্যৌ॑হতাম॒শ্বিনা॑ মৃ॒ত্যুম॑স্মাদ্ দে॒বানা॑মগ্নে ভি॒ষজা॒ শচী॑ভিঃ ॥ ঌ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    অমুত্রেত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । অশ্ব্যাদয়ো দেবতাঃ । ত্রিষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top