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यजुर्वेद अध्याय - 36

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  • यजुर्वेद - अध्याय 36/ मन्त्र 17
    ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः देवता - ईश्वरो देवता छन्दः - भुरिक्छक्वरी स्वरः - धैवतः
    274

    द्यौः शान्ति॑र॒न्तरि॑क्ष॒ꣳ शान्तिः॑ पृथि॒वी शान्ति॒रापः॒ शान्ति॒रोषध॑यः॒ शान्तिः॑। वन॒स्पत॑यः॒ शान्ति॒र्विश्वे॑ दे॒वाः शान्ति॒र्ब्रह्म॒ शान्तिः॒ सर्व॒ꣳ शान्तिः॒ शान्ति॑रे॒व शान्तिः॒ सा मा॒ शान्ति॑रेधि॥१७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    द्यौः। शान्तिः॑। अ॒न्तरि॑क्षम्। शान्तिः॑। पृ॒थि॒वी। शान्तिः॑। आपः॑। शान्तिः॑। ओष॑धयः। शान्तिः॑ ॥ वन॒स्पत॑यः। शान्तिः॑। विश्वे॑। दे॒वाः। शान्तिः॑। ब्रह्म॑। शान्तिः॑। सर्व॑म्। शान्तिः॑। शान्तिः॑। ए॒व। शान्तिः॑। सा। मा॒। शान्तिः॑। ए॒धि॒ ॥१७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    द्यौः शान्तिरन्तरिक्षँ शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः । वनस्पतयः शान्तिर्विश्वे देवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वँ शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    द्यौः। शान्तिः। अन्तरिक्षम्। शान्तिः। पृथिवी। शान्तिः। आपः। शान्तिः। ओषधयः। शान्तिः॥ वनस्पतयः। शान्तिः। विश्वे। देवाः। शान्तिः। ब्रह्म। शान्तिः। सर्वम्। शान्तिः। शान्तिः। एव। शान्तिः। सा। मा। शान्तिः। एधि॥१७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 36; मन्त्र » 17
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    मनुष्यैः कथं प्रयतितव्यमित्याह॥

    अन्वयः

    हे मनुष्याः! या द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिर्वनस्पतयः शान्तिर्विश्वे देवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिर्मैधि सा शान्तिर्युष्माकमपि प्राप्नोतु॥१७॥

    पदार्थः

    (द्यौः) प्रकाशयुक्तः पदार्थः (शान्तिः) शान्तिकरः (अन्तरिक्षम्) उभयलोकयोर्मध्यस्थमाकाशम् (शान्तिः) (पृथिवी) भूमिः (शान्तिः) (आपः) जलानि प्राणा वा (शान्तिः) (ओषधयः) सोमाद्याः (शान्तिः) (वनस्पतयः) वटादयः (शान्तिः) (विश्वे) सर्वे (देवाः) विद्वांसः (शान्तिः) (ब्रह्म) परमेश्वरो वेदो वा (शान्तिः) (सर्वम्) अखिलं वस्तु (शान्तिः) (शान्तिः) (एव) (शान्तिः) (सा) (मा) माम् (शान्तिः) (एधि) भवतु॥१७॥

    भावार्थः

    हे मनुष्याः! यथा प्रकाशादयः पदार्थाः शान्तिकराः स्युस्तथा यूयं प्रयतध्वम्॥१७॥

    हिन्दी (1)

    विषय

    मनुष्यों को कैसे प्रयत्न करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे मनुष्यो! जो (द्यौः, शान्तिः) प्रकाशयुक्त पदार्थ शान्तिकारक (अन्तरिक्षम्) दोनों लोक के बीच का आकाश (शान्तिः) शान्तिकारी (पृथिवी) भूमि (शान्तिः) सुखकारी निरुपद्रव (आपः) जल वा प्राण (शान्तिः) शान्तिदायी (ओषधयः) सोमलता आदि ओषधियां (शान्तिः) सुखदायी (वनस्पतयः) वट आदि वनस्पति (शान्तिः) शान्तिकारक (विश्वे, देवाः) सब विद्वान् लोग (शान्तिः) उपद्रवनिवारक (ब्रह्म) परमेश्वर वा वेद (शान्तिः) सुखदायी (सर्वम्) सम्पूर्ण वस्तु (शान्तिः) शान्तिकारक (शान्तिरेव) शान्ति ही (शान्तिः) शान्ति (मा) मुझको (एधि) प्राप्त होवे (सा) वह (शान्तिः) शान्ति तुम लोगों के लिये भी प्राप्त होवे॥१७॥

    भावार्थ

    हे मनुष्यो! जैसे प्रकाश आदि पदार्थ शान्ति करनेवाले होवें, वैसे तुम लोग प्रयत्न करो॥१७॥

    मराठी (1)

    भावार्थ

    हे माणसांनो ! जसे प्रकाशयुक्त पदार्थ, आकाश, भूमी, जल, सोमलता इत्यादी औषधे, वनस्पती, विद्वान लोक, परमेश्वर, वेद इत्यादी शांती देणारे असतात तशी शांती प्राप्त करण्याचा प्रयत्न तुम्हीही करा.

    इंग्लिश (2)

    Meaning

    May sky be peaceful. May atmosphere be peaceful. May Earth be peaceful. May waters be peaceful. May medicinal herbs be peaceful. May plants be peaceful. May all the learned persons be peaceful. May God and the Vedas be peaceful. May all the objects be peaceful; May peace itself be peaceful. May that peace come unto me.

    Meaning

    May the heavens bring us peace. May peace be with the skies, and may the skies shower us with peace. May there be peace on earth, and may the earth mother bring us peace. May there be peace with the waters, and may the waters bring us peace. May there be peace in the herbs, and may the herbs bring us peace. May peace be with the trees and may the trees bring us peace. Peace be with the divinities of the world, and may they bless us with peace. May the Great Lord of the universe bless us with peace, and may the Veda inspire us with peace. May all existence be at peace and may peace come from all existence to all. May there be peace only, universal peace for all. May that heavenly peace come and bless me. May It bless all.

    बंगाली (1)

    विषय

    মনুষ্যৈঃ কথং প্রয়তিতব্যমিত্যাহ ॥
    মনুষ্যদিগকে কেমন প্রচেষ্টা করা উচিত, এই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ- হে মনুষ্যগণ ! যে (দ্যৌঃ, শান্তিঃ) প্রকাশযুক্ত পদার্থ শান্তিকারক (অন্তরিক্ষম্) উভয় লোকের মধ্যেকার আকাশ (শান্তিঃ) শান্তিকারী (পৃথিবী) ভূমি (শান্তিঃ) সুখকারী নিরুপদ্রব (আপঃ) জল বা প্রাণ (শান্তি) শান্তিদায়ী (ওষধয়ঃ) সোমলতাদি ওষধিসকল (শান্তিঃ) সুখদায়ী (বনস্পতয়ঃ) বটাদি বনস্পতি (শান্তিঃ) শান্তিকারক (বিশ্বে, দেবাঃ) সব বিদ্বান্গণ (শান্তি) উপদ্রবনিবারক (ব্রহ্ম) পরমেশ্বর বা বেদ (শান্তিঃ) সুখদায়ী (সর্বম্) সম্পূর্ণ বস্তু (শান্তিঃ) শান্তিকারক (শান্তিরেব) শান্তিই (শান্তিঃ) শান্তি (মা) আমাকে (এধি) প্রাপ্ত হউক (সা) সেই (শান্তিঃ) শান্তি তোমাদের জন্যও প্রাপ্ত হউক ॥ ১৭ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ- হে মনুষ্যগণ ! যেমন প্রকাশাদি পদার্থ শান্তিকারী হইবে, সেইরূপ তোমরা প্রচেষ্টা কর ॥ ১৭ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    দ্যৌঃ শান্তি॑র॒ন্তরি॑ক্ষ॒ꣳ শান্তিঃ॑ পৃথি॒বী শান্তি॒রাপঃ॒ শান্তি॒রোষ॑ধয়ঃ॒ শান্তিঃ॑ । বন॒স্পত॑য়ঃ॒ শান্তি॒র্বিশ্বে॑ দে॒বাঃ শান্তি॒র্ব্রহ্ম॒ শান্তিঃ॒ সর্ব॒ꣳ শান্তিঃ॒ শান্তি॑রে॒ব শান্তিঃ॒ সা মা॒ শান্তি॑রেধি ॥ ১৭ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    দ্যৌরিত্যস্য দধ্যঙ্ঙাথর্বণ ঋষিঃ । ঈশ্বরো দেবতা । ভুরিক্ছক্বরী ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

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