Loading...
यजुर्वेद अध्याय - 36

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 36/ मन्त्र 6
    ऋषिः - वामदेव ऋषिः देवता - इन्द्रो देवता छन्दः - पादनिचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    213

    अ॒भी षु णः॒ सखी॑नामवि॒ता ज॑रितॄ॒णाम्।श॒तं भ॑वास्यू॒तिभिः॑॥६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒भी। सु। नः॒। सखी॑नाम्। अ॒वि॒ता। ज॒रि॒तॄ॒णाम् ॥ श॒तम्। भ॒वा॒सि॒। ऊ॒तिभिः॑६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अभी षु णः सखीनामविता जरितऋृणाम् । शतम्भवास्यूतये ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अभी। सु। नः। सखीनाम्। अविता। जरितॄणाम्॥ शतम्। भवासि। ऊतिभिः६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 36; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह॥

    अन्वयः

    हे जगदीश्वर! यतस्त्वं शतं दददभ्यूतिभिर्नः सखीनां जरितॄणामविता सुभवासि, तस्मादस्माभिः सत्कर्त्तव्योऽसि॥६॥

    पदार्थः

    (अभि) सर्वतः। अत्र निपातस्य च [अ॰६.३.१३६] इति दीर्घः। (सु) शोभने (नः) अस्माकम् (सखीनाम्) मित्राणाम् (अविता) रक्षिता (जरितॄणाम्) सत्यस्तावकानाम् (शतम्) असंख्यम् (भवासि) भवेः (ऊतिभिः) रक्षणादिभिः॥६॥

    भावार्थः

    हे मनुष्याः! यो रागद्वेषरहितानामजातशत्रूणां सर्वेषां सुहृदां मनुष्याणामसंख्यमैश्वर्यमतुलं विज्ञानं च प्रदाय सर्वतोऽभिरक्षति, तमेव परमेश्वरं नित्यं सेवध्वम्॥६॥

    हिन्दी (1)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे जगदीश्वर! आप (शतम्) असंख्य ऐश्वर्य देते हुए (अभि, ऊतिभिः) सब ओर से प्रवृत्त रक्षादि क्रियाओं से (नः) हमारे (सखीनाम्) मित्रों और (जरितॄणाम्) सत्य स्तुति करनेवालों के (अविता) रक्षा करनेवाले (सु, भवासि) सुन्दर प्रकार हूजिये, इससे आप हमको सत्कार करने योग्य हैं॥६॥

    भावार्थ

    हे मनुष्यो! जो रागद्वेष रहित, किन्हीं से वैरभाव न रखने अर्थात् सबसे मित्रता रखनेवाला, सब मित्र मनुष्यों को असंख्य ऐश्वर्य और अधिकतर विज्ञान देके सब ओर से रक्षा करता है, उसी परमेश्वर की नित्य सेवा किया करो॥६॥

    मराठी (1)

    भावार्थ

    हे माणसांनो ! जो रोग द्वेष रहित आहे, कुणाशीही वैरभाव ठेवत नाही, सर्वांशी मित्रत्वाच्या भावनेने वागतो, आपल्या भक्तांना ऐश्वर्याने व विज्ञानाने युक्त करून सर्व प्रकारे रक्षण करतो त्याच परमेश्वराची नित्य भक्ती करा.

    इंग्लिश (2)

    Meaning

    O God, Thou granting us manifold glories, and protecting us from all sides, dost fairly guard us, thy friends, who praise Thee.

    Meaning

    Lord Supreme, be all-round saviour of ours, of friends and admirers, in a hundred ways of your divine protection.

    बंगाली (1)

    विषय

    পুনস্তমেব বিষয়মাহ ॥
    পুনঃ সেই বিষয়কে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥

    पदार्थ

    পদার্থঃ- হে জগদীশ্বর ! (আপ) (শতম্) অসংখ্য ঐশ্বর্য্য প্রদান করিয়া (অভি, ঊতিভিঃ) সকল দিক দিয়া প্রবৃত্ত রক্ষাদি ক্রিয়া সকলের দ্বারা (নঃ) আমাদের (সখীনাম্) মিত্রবর্গ এবং (জরিতৃণাম্) সত্য স্তুতিকারীদের (অবিতা) রক্ষাকারী (সু, ভবাসি) সুন্দর প্রকার হউন, ইহা দ্বারা আপনি আমাদের সৎকার করিবার যোগ্য ॥ ৬ ॥

    भावार्थ

    ভাবার্থঃ- হে মনুষ্যগণ ! যিনি রাগদ্বেষরহিত, কাহারও সহিত বৈরতা রাখেন না অর্থাৎ সকলের সহিত মিত্রতা রাখেন, সব মিত্র মনুষ্যদিগকে অসংখ্য ঐশ্বর্য্য ও অধিকতর বিজ্ঞান প্রদান করিয়া সব দিক দিয়া রক্ষা করেন সেই পরমেশ্বরের নিত্য সেবা করিতে থাক ॥ ৬ ॥

    मन्त्र (बांग्ला)

    অ॒ভী ষু ণঃ॒ সখী॑নামবি॒তা জ॑রিতৃৃ॒ণাম্ ।
    শ॒তং ভ॑বাসূ্য॒তিভিঃ॑ ॥ ৬ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    অভী ষু ণ ইত্যস্য বামদেব ঋষিঃ । ইন্দ্রো দেবতা । পাদনিচৃদ্গায়ত্রী ছন্দঃ ।
    ষড্জঃ স্বরঃ ॥

    Top