Loading...
यजुर्वेद अध्याय - 37
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 37/ मन्त्र 13
    ऋषि: - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः देवता - विद्वान् देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    39

    स्वाहा॑ म॒रुद्भिः॒ परि॑ श्रीयस्व दि॒वः स॒ꣳस्पृश॑स्पाहि।मधु॒ मधु॒ मधु॑॥१३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स्वाहा॑। म॒रुद्भि॒रिति॑ म॒रुत्ऽभिः॑। परि॑। श्री॒य॒स्व॒। दि॒वः। स॒ꣳस्पृश॒ इति॑ स॒म्ऽस्पृशः॑। पा॒हि॒ ॥ मधु॑। मधु॑। मधु॑ ॥१३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स्वाहा मरुद्भिः परिश्रीयस्व । दिवः सँस्पृशस्पाहि । मधु मधु मधु ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    स्वाहा। मरुद्भिरिति मरुत्ऽभिः। परि। श्रीयस्व। दिवः। सꣳस्पृश इति सम्ऽस्पृशः। पाहि॥ मधु। मधु। मधु॥१३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 37; मन्त्र » 13
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    विषयः

    पुनस्तमेव विषयमाह॥

    अन्वयः

    हे विद्वँस्त्वं मरुद्भिः स्वाहा मधु मधु मधु श्रीयस्व, संस्पृशो दिवोऽस्मान् परि पाहि॥१३॥

    पदार्थः

    (स्वाहा) सत्यां क्रियाम् (मरुद्भिः) मनुष्यैः सह (परि) सर्वतः (श्रीयस्व) सेवस्व। अत्र विकरणव्यत्ययेन श्यन्। (दिवः) प्रकाशाद् विद्युतः (संस्पृशः) यः संस्पृशति तस्मात् (पाहि) (मधु) कर्म (मधु) उपासनम् (मधु) विज्ञानम्॥१३॥

    भावार्थः

    ये पूर्णैर्विद्वद्भिः सह कर्मोपासनाज्ञानविद्यां सत्क्रियां च गृहीत्वा सेवन्ते, ते सर्वतो रक्षिताः सन्तो महदैश्वर्यं प्राप्नुवन्ति॥१३॥

    हिन्दी (1)

    विषय

    फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥

    पदार्थ

    हे विद्वन्! आप (मरुद्भिः) मनुष्यों के साथ (स्वाहा) सत्क्रिया (मधु) कर्म (मधु) उपासना और (मधु) विज्ञान का (श्रीयस्व) सेवन कीजिये तथा (संस्पृशः) सम्यक् स्पर्श करनेवाली (दिवः) प्रकाशरूप बिजुली से हमारी (परि, पाहि) सब ओर से रक्षा कीजिये॥१३॥

    भावार्थ

    जो लोग पूर्ण विद्वानों के साथ कर्म, उपासना और ज्ञान की विद्या तथा उत्तम क्रिया को ग्रहण कर सेवन करते हैं, वे सब ओर से रक्षा को प्राप्त हुए बड़े ऐश्वर्य को प्राप्त होते हैं॥१३॥

    मराठी (1)

    भावार्थ

    जे लोक पूर्ण विद्वानांकडून ज्ञान, कर्म, उपासना करण्याची विद्या व क्रिया जाणतात. त्यांचे सर्व प्रकारे रक्षण होऊन त्यांना आत्यंतिक ऐश्वर्य प्राप्त होते.

    English (2)

    Meaning

    O learned person, in the company of other men, act thou nobly, protect us from the lightning-fall. Practice action, contemplation and knowledge.

    Meaning

    Man of knowledge, with truth of word and deed, shine as a flame with the children of the earth, mix with them and provide all round sustenance. Save the earth from the scorching blaze of the sun. May knowledge be holy sweet. May karma be honey-sweet. May worship be heavenly sweet. May life be honey-sweet.

    Top