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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 9 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 9/ मन्त्र 11
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - शान्तिः, मन्त्रोक्ताः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शान्ति सूक्त
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    शं रु॒द्राः शं वस॑वः॒ शमा॑दि॒त्याः शम॒ग्नयः॑। शं नो॑ मह॒र्षयो॑ दे॒वाः शं दे॒वाः शं बृह॒स्पतिः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शम्। रु॒द्राः। शम्। वस॑वः। शम्। आ॒दि॒त्याः। शम्। अ॒ग्नयः॑। शम्। नः॒।म॒ह॒ऽऋष॑यः। दे॒वाः। शम्। दे॒वाः। शम्। बृह॒स्पतिः॑ ॥९.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शं रुद्राः शं वसवः शमादित्याः शमग्नयः। शं नो महर्षयो देवाः शं देवाः शं बृहस्पतिः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शम्। रुद्राः। शम्। वसवः। शम्। आदित्याः। शम्। अग्नयः। शम्। नः।महऽऋषयः। देवाः। शम्। देवाः। शम्। बृहस्पतिः ॥९.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 9; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    मनुष्यों को कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (रुद्राः) रुद्र [ग्यारह रुद्र अर्थात् प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान, नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीवात्मा] (शम्) शान्तिदायक (वसवः) वसु [आठ वसु अर्थात् अग्नि, पृथिवी, वायु, अन्तरिक्ष, सूर्य, प्रकाश, चन्द्रमा और तारागण] (शम्) शान्तिदायक (आदित्याः) महीने [चैत्र आदि बारह महीने] (शम्) शान्तिदायक और (अग्नयः) अग्नियाँ [शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक बल] (शम्) शान्तिदायक [होवें]। (महर्षयः) महर्षि [बड़े-बड़े वेदज्ञाता] (देवाः) विद्वान् लोग (नः) हमें (शम्) शान्तिदायक, (देवाः) उत्तम व्यवहार (शम्) शान्तिदायक [होवें] और (बृहस्पतिः) बड़े ब्रह्माण्डों का स्वामी [परमात्मा] (शम्) शान्तिदायक [होवे] ॥११॥

    भावार्थ

    मनुष्य रुद्र, वसु और आदित्यसंज्ञक पदार्थों को प्रयत्नपूर्वक महर्षि विद्वानों के सत्सङ्ग और परमात्मा के विश्वास से अनेक व्यवहारों में प्रयुक्त करके सब जीवों को सुख पहुँचावें ॥११॥

    टिप्पणी

    रुद्र, वसु और आदित्य शब्दों के लिये महर्षिदयानन्दकृत यजुर्वेदभाष्य−२।५। देखो ॥ ११−(शम्) शान्तिप्रदाः (रुद्राः) रु गतौ-क्विप्, तुक् रो मत्वर्थीयः गतिमन्तः। प्राणापानव्यानोदानसमान-नागकूर्मकृकलदेवदत्तधनञ्जयाख्या दश प्राणा एकादशो जीवश्चेत्येकादश रुद्राः-दयानन्दकृतभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (वसवः) अग्निश्च पृथिवी च वायुश्चान्तरिक्षं चादित्यश्च द्यौश्च चन्द्रमाश्च नक्षत्राणि चैते वसवः-दयानन्दभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (आदित्याः) द्वादशमासाः-तत्रैव (शम्) (अग्नयः) शारीरिकात्मिकसामाजिकपराक्रमाः (शम्) (नः) (महर्षयः) महान्तो वेदार्थज्ञातारः (देवाः) विद्वांसः (शम्) (देवाः) उत्तमव्यवहाराः (शम्) (बृहस्पतिः) बृहतां ब्रह्माण्डानां पालकः परमेश्वरः ॥

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    विषय

    वसु-रुद्र-आदित्यों से शान्ति लाभ

    पदार्थ

    १.(रुद्रा शम्) = चवालीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य का धारण करनेवाले रुद्र ब्रह्मचारी हमारे लिए शान्ति प्राप्त कराएँ। (वसवः शम्) = २४ वर्ष तक ब्रह्मचर्य के धारक वसु ब्रह्मचारी हमें शान्ति दें। (आदित्या:) = ४८ वर्ष तक ब्रह्मचर्य का धारण करनेवाले विद्वान् आदित्य हमें शान्ति प्राप्त कराएँ। (अग्नयः) = माता-पिता व आचार्यरूप अग्रियों हमें (शम्) = शान्ति दें। ['पिता वै गार्हपत्योऽग्निः माताग्निर्दक्षिणः स्मृतः । गुरुराहवनीयस्तु साग्नित्रेता गरीयसी ॥"]। २. (न:) = हमारे लिए (महर्षयः देवा:) = तत्त्वद्रष्टा ज्ञानी (शम्) = शान्ति दें तथा (देवा:) = सब दिव्यवृत्ति के पुरुष (शम्) = शान्ति प्राप्त कराएँ और (बृहस्पति:) = ज्ञानियों का ज्ञानी बृहस्पति (शम्) = हमें शान्ति दे।

    भावार्थ

    सब विद्वान्, ऋषि व देव हमें शान्ति प्राप्त कराएँ।

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    भाषार्थ

    (रुद्राः) ३६ वर्षों के रुद्र ब्रह्मचारी (शम्) हमें शान्ति प्रदान करें, (वसवः) २४ वर्षों के वसुनामक ब्रह्मचारी (शम्) शान्ति प्रदान करें, (आदित्याः) ४८ वर्षों के आदित्य ब्रह्मचारी (शम्) शान्ति प्रदान करें। (अग्नयः) अग्निहोत्र तथा यज्ञों की अग्नियाँ (शम्) शान्ति प्रदान करें। (महर्षयो देवाः) महर्षिदेव (नः) हमें (शम्) शान्तिप्रदान करें, (देवाः) मातृदेव पितृदेव आचार्यदेव अतिथिदेव आदि दिव्यगुणी (शम्) शान्ति प्रदान करें। (बृहस्पतिः) महती वेदवाणी का पति तथा महाब्रह्माण्ड का पति परमेश्वर (शम्) शान्तिप्रदान करे।

    टिप्पणी

    [महर्षयः= जिनके द्वारा चार वेदों का प्रकाश हुआ। इन सबके सदुपदेशों द्वारा सन्मार्गगामी होकर हम जीवनों में शान्ति-लाभ करें।]

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    विषय

    सुख शान्ति की प्रार्थना।

    भावार्थ

    (रुद्राः शम्) प्रजा के रुलाने वाले, ‘रुद्र’ रूप ४४ वर्ष के ब्रह्मचर्य के पालक निष्ठ पुरुष हमारे लिये शान्तिदायक हों। (वसवः) वसु नामक २४ वर्ष के ब्रह्मचारी (शं) हमारे लिये कल्याणकारी हों। (आदित्याः) आदित्य, ४८ वर्ष के बाल ब्रह्मचारी गण हमें (शम्) सुख दें। (अग्नयः) अग्नि के समान तीक्ष्ण स्वभाव के पुरुष अथवा राजागण, क्षत्रियजन और अन्य विद्वान् लोग हमें (शम्) सुख दें। (देवाः) ज्ञान प्रकाशक, ज्ञानप्रद, तेजस्वी (महर्षयः) बड़े बड़े मन्त्रद्रष्टा ऋषिजन (नः शम्) हमारे लिये शान्तिदायक हों. (देवाः) देव विद्वान्गण और संसार के दिव्य पदार्थ (शं) शान्तिदायक हों। (बृहस्पतिः शम्) महान् लोकों का पालक परमेश्वर हमें शान्ति दे। अथवा (रुद्राः) रुद्र ११-प्राण, अपान, व्यान, समान, उद्दान, नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीव ! वसु आठ—अग्नि, पृथिवी, वायु, अन्तरिक्ष, द्यौः, सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र और १२ आदित्य, १२ मास (अग्नयः) अग्नियें वैतानिक आदि पांच इत्यादि सब हमें शान्ति दें।

    टिप्पणी

    ‘शं देवीः’ इति ह्विटनिकामितः।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ब्रह्मऋषिः। शान्तिसूक्तम्। शान्तिर्देवता। १ विराड् उरो बृहती। ५ पञ्चपदा पथ्यापंक्तिः। ९ पञ्चपदा ककुम्मती। १२ त्र्यवसाना सप्तपदा अष्टिः। १४ चतुष्पदा संकृतिः। २, ४, ६, ८, १०, ११, १३ अनुष्टुभः। चतुर्दशर्चं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Shanti

    Meaning

    May Rudras, scholars of the middle order, Vasus, scholars of the basic order, and Adityas, scholars of the highest brilliant order, leading lights of the nation, and flames of yajna fire bring peace for us. May the great seers and sages, generous people, brilliant eminences, and Brhaspati, sagely scholar of the Veda, all bring us peace.

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    Translation

    Gracious (be) the terrible punisher, gracious the granter of dwellings, gracious the old sages, gracious the adorable leaders. Gracious to us be the holy great sages, gracious the enlightened ones; and gracious (be) the Lord supreme.

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    Translation

    May be favorable for us Rudras, the persons observing the discipline of continuance for 44 years, may be favorable for us the persons observing the discipline of continuance for 24 years may be favorable fours the persons observing discipline of continuance for 48 years, may be favorable for us all the fires of Yajna (Ahavaniya, Grahpatya and Prajapatya), may be favorable for us the great seers of wonderful wisdom and men of enlightenment and may be gracious for us the man having masterly control over Vedic speech and knowledge.

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    Translation

    May the forty-four years old celibates bring peace to us. May the people, who observe celibacy up to twenty-four years be peaceful to us. May the celibates of forty-eight years bring tranquillity to us. May the learned people, the king and military chiefs be all sources of peace to us. May great seers, who shed light of knowledge all-round be gracious to us. May the brilliant scholars and the Lord of Vedic lore be kind to us.

    Footnote

    Rudras also mean : Ten vital breaths, Prana, Apana, Vyan, S$man, Udan, Naga, Kurma, Devadatta, Dhananjaya and the soul. Vasavas—-Agni, Vayu, Prithivi, Antariksh, Surya, Chandra, Dyaus, Nakshatra. Adityas—1-2 months of the year. Agnaya— 5 Agnis (वेतो निकादि) or fire, electricity and the Sun.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    रुद्र, वसु और आदित्य शब्दों के लिये महर्षिदयानन्दकृत यजुर्वेदभाष्य−२।५। देखो ॥ ११−(शम्) शान्तिप्रदाः (रुद्राः) रु गतौ-क्विप्, तुक् रो मत्वर्थीयः गतिमन्तः। प्राणापानव्यानोदानसमान-नागकूर्मकृकलदेवदत्तधनञ्जयाख्या दश प्राणा एकादशो जीवश्चेत्येकादश रुद्राः-दयानन्दकृतभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (वसवः) अग्निश्च पृथिवी च वायुश्चान्तरिक्षं चादित्यश्च द्यौश्च चन्द्रमाश्च नक्षत्राणि चैते वसवः-दयानन्दभाष्ये, यजु० २।५। (शम्) (आदित्याः) द्वादशमासाः-तत्रैव (शम्) (अग्नयः) शारीरिकात्मिकसामाजिकपराक्रमाः (शम्) (नः) (महर्षयः) महान्तो वेदार्थज्ञातारः (देवाः) विद्वांसः (शम्) (देवाः) उत्तमव्यवहाराः (शम्) (बृहस्पतिः) बृहतां ब्रह्माण्डानां पालकः परमेश्वरः ॥

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