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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 39 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 39/ मन्त्र 6
    ऋषिः - अङ्गिराः देवता - आदित्यः छन्दः - त्रिपदा महाबृहती सूक्तम् - सन्नति सूक्त
    48

    द्यौर्धे॒नुस्तस्या॑ आदि॒त्यो व॒त्सः। सा म॑ आदि॒त्येन॑ व॒त्सेनेष॒मूर्जं॒ कामं॑ दुहाम्। आयुः॑ प्रथ॒मं प्र॒जां पोषं॑ र॒यिं स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    द्यौ: । धे॒नु: । तस्या॑: । आ॒दि॒त्य: । व॒त्स: । सा । मे॒ । आ॒दि॒त्येन॑ । व॒त्सेन॑ । इष॑म् । ऊर्ज॑म् । काम॑म् । दु॒हा॒म् । आयु॑: । प्र॒थ॒मम् । प्र॒ऽजाम् । पोष॑म् । र॒यिम् । स्वाहा॑ ॥३९.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    द्यौर्धेनुस्तस्या आदित्यो वत्सः। सा म आदित्येन वत्सेनेषमूर्जं कामं दुहाम्। आयुः प्रथमं प्रजां पोषं रयिं स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    द्यौ: । धेनु: । तस्या: । आदित्य: । वत्स: । सा । मे । आदित्येन । वत्सेन । इषम् । ऊर्जम् । कामम् । दुहाम् । आयु: । प्रथमम् । प्रऽजाम् । पोषम् । रयिम् । स्वाहा ॥३९.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 39; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    परमेश्वर के गुणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (द्यौः) सूर्यलोक (धेनुः) दुधैल गौ के समान है, (तस्याः) उस [धेनु] का (वत्सः) बच्चा रूप (आदित्यः) सूर्य है। (सा) वह [धेनु] (मे) मुझे (वत्सेन) बच्चा रूप (आदित्येन) सूर्य के साथ (इषम्) अन्न (ऊर्जम्) पराक्रम, (कामम्) उत्तम मनोरथ, (प्रथमम् आयुः) प्रधान जीवन, (प्रजाम्) प्रजा, (पोषम्) पोषण, और (रयिम्) धन (दुहाम्) परिपूर्ण करे, (स्वाहा) यह आशीर्वाद हो ॥६॥

    भावार्थ

    मनुष्य सूर्यलोक और सूर्य का पृथिवी से संबन्ध जानकर अनेक लाभ उठाकर सुखी होवें ॥६॥

    टिप्पणी

    ६-सर्वं पूर्ववत्-म० २, ५ ॥

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    विषय

    द्युलोक में आदित्य

    पदार्थ

    १. (द्यौः धेनु:) = मस्तिष्करूप धुलोक धेनु है। (आदित्यः) = ज्ञानरूप सूर्य (तस्याः वत्सः) = उसका बछड़ा है। (सा) = वह धेनु (वत्सेन आदित्येन) = ज्ञानरूप बछड़े के साथ (मे) = मेरे लिए (इषम्) = अन्न को, (ऊर्जम्) = रस को, (कामम्) = सब अभिलषित पदार्थों को (दुहाम्) = प्रपूरित करे। २. (प्रथम आयु:) = शतसंवत्सर का विस्तीर्ण जीवन (प्रजाम्) = उत्तम सन्तति व शक्ति-विकास (पोषम्) = अङ्ग प्रत्यङ्ग का पोषण और (रयिम्) = धन हमें दे। (स्वाहा) = मैं इस ज्ञान की प्राप्ति के लिए अपना अर्पण करता हूँ।

    भावार्थ

    मस्तिष्क में ज्ञान होने पर सब इष्ट पदार्थ प्राप्त होते हैं। दीर्घजीवन, अङ्ग-प्रत्यक्ष का पोषण व आवश्यक धन इस ज्ञान से प्राप्त होता है।

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    भाषार्थ

    (द्यौः) द्युलोक है (धेनुः) दुग्ध देनेवाली गौ, (तस्या: आदित्यः वत्सः) उसका वत्स है आदित्य। (सा) वह द्यौ अर्थात् द्युलोक (मे) मुझे (आदित्येन वत्स) आदित्यरूपी वत्स द्वारा (इषम्) अभीष्ट अन्न, (ऊर्जम्) अन्नरस, तथा (कामम्) काम्यमान अन्य वस्तुरूपी दुग्ध (दुहाम्) दोहन करे, प्रदान करे तथा (आयुः प्रथमम्) पहले या प्रथित अर्थात् विस्तृत आयु, लम्बी आयु, (प्रजाम्) प्रजा अर्थात् सन्तान, (पोषम्) इन सबकी पुष्टि अर्थात् अभिवृद्धि, (रयिम्) और धन। (स्वाहा) इन सबकी प्राप्ति के लिए यज्ञ किये जाएँ, [अभिप्राय यह है कि यज्ञों द्वारा वृष्टि हो, और वृष्टि द्वारा इनकी उत्पत्ति होकर, ये मुझे प्राप्त हों।]

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    विषय

    विभूतियों और समृद्धियों को प्राप्त करने की साधना।

    भावार्थ

    (द्यौ धेनुः) द्यौलोक भी एक गायके समान हैं (तस्याः आदित्यः वत्सः) उसका बच्छे के समान उस में निवास करने वाला आदित्य = सूर्य है (सा आदित्येन वत्सेन इषम् ऊर्जम् कामं दुहाम्) वह आदित्यरूप बछड़े द्वारा, उसी की शक्ति से प्रेरित होकर मेरे लिये मेरी कामना के अनुसार अन्न और पुष्टिकारक रसों को उत्पन्न करे और (प्रथमं आयुः प्रजाम् पोषं रयिम्) सब से श्रेष्ठ आयु प्रजा और यश, वीर्य को भी प्रदान करे (स्वाहा) यही हमारी उत्तम प्रार्थना है। सूर्य उत्तम प्रकाश दे, रोग नष्ट हों, मेघ बनें, बरसें, अग्न हो, प्रजा, पुष्टि, वीर्य, यश प्राप्त हो।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अंगिरा ऋषिः। संनतिर्देवता। १, ३, ५, ७ त्रिपदा महाबृहत्यः, २, ४, ६, ८ संस्तारपंक्तयः, ९, १० त्रिष्टुभौ। दशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Divine Prosperity

    Meaning

    The heaven is a mother cow, the sun is her calf. May mother heaven with her calf-like light energy give me enlightenment and fulfilment and bless me with prime health, long age, noble progeny, nourishment, wealth, honour and excellence. This is my prayer in homage to the mother in truth of thought, word and deed.

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    Translation

    The space is a milch-cow; the sun is her calf. May she, with the sun as her calf, yield milk to me as food, vigour, fulfillment of my desires, long life as the foremost thing, offspring, nourishment and riches. Svaha.

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    Translation

    The heavenly region is like kine and the sun like its calf. Let this heavenly region with its calf, the sun yield grain etc.

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    Translation

    Heaven is the Cow, her calf is the Sun. May she with her calf the Sun yield me food, strength, my nice resolve, noble life, offspring, plenty and wealth. This is our excellent prayer, that Sun should shine, remove our ailments and send rain.

    Footnote

    She refers to heaven.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६-सर्वं पूर्ववत्-म० २, ५ ॥

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