Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 28/ मन्त्र 37
    ऋषिः - सरस्वत्यृषिः देवता - इन्द्रो देवता छन्दः - भुरिगतिजगती स्वरः - निषादः
    1

    दे॒वीऽउ॒षासा॒नक्ता॑ दे॒वमिन्द्रं॑ वयो॒धसं॑ दे॒वी दे॒वम॑वर्धताम्।अ॒नु॒ष्टुभा॒ छन्द॑सेन्द्रि॒यं बल॒मिन्द्रे॒ वयो॒ दध॑द् वसु॒वने॑ वसु॒धेय॑स्य वीतां॒ यज॑॥३७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दे॒वीऽइति॑ दे॒वी। उ॒षासा॒नक्ता॑। उ॒षसा॒नक्तेत्यु॒षसा॒नक्ता॑। दे॒वम्। इन्द्र॑म्। व॒यो॒धस॒मिति॑ वयः॒ऽधस॑म्। दे॒वी। दे॒वम्। अ॒व॒र्ध॒ता॒म्। अ॒नु॒ष्टुभा॑। अ॒नु॒स्तुभेत्य॑नु॒ऽस्तुभा॑। छन्द॑सा। इ॒न्द्रि॒यम्। बल॑म्। इन्द्रे॑। वयः॑। दध॑त्। व॒सु॒वन॒ इति॑ वसु॒ऽवने॑। व॒सु॒धेय॒स्येति॑ वसु॒ऽधेय॑स्य। वी॒ता॒म्। यज॑ ॥३७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    देवीऽउषासानक्ता देवमिन्द्रँवयोधसन्देवी देवमवर्धताम् । अनुष्टुभा च्छन्दसेन्द्रियम्बलमिन्द्रे वयो दधद्वसुवने वसुधेयस्य वीताँयज ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    देवीऽइति देवी। उषासानक्ता। उषसानक्तेत्युषसानक्ता। देवम्। इन्द्रम्। वयोधसमिति वयःऽधसम्। देवी। देवम्। अवर्धताम्। अनुष्टुभा। अनुस्तुभेत्यनुऽस्तुभा। छन्दसा। इन्द्रियम्। बलम्। इन्द्रे। वयः। दधत्। वसुवन इति वसुऽवने। वसुधेयस्येति वसुऽधेयस्य। वीताम्। यज॥३७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 28; मन्त्र » 37
    Acknowledgment

    Translation -
    The divine dawn and night (usasa-nakta) both make the divine aspirant prosper with a long life-divinities aiding a divinity; with the anustup metre, they bestow on the aspirant resplendence, power and long life. At the time of distribution of wealth. may both of them procure the store of wealth for us. Offer sacrifice. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top