ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 66/ मन्त्र 2
या धा॒रय॑न्त दे॒वाः सु॒दक्षा॒ दक्ष॑पितरा । अ॒सु॒र्या॑य॒ प्रम॑हसा ॥
स्वर सहित पद पाठया । धा॒रय॑न्त । दे॒वाः । सु॒ऽदक्षा॑ । दक्ष॑ऽपितरा । अ॒सु॒र्या॑य । प्रऽम॑हसा ॥
स्वर रहित मन्त्र
या धारयन्त देवाः सुदक्षा दक्षपितरा । असुर्याय प्रमहसा ॥
स्वर रहित पद पाठया । धारयन्त । देवाः । सुऽदक्षा । दक्षऽपितरा । असुर्याय । प्रऽमहसा ॥ ७.६६.२
ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 66; मन्त्र » 2
अष्टक » 5; अध्याय » 5; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
अष्टक » 5; अध्याय » 5; वर्ग » 8; मन्त्र » 2
Meaning -
Generous saints and sages, brilliant scholars and teachers, hold on to Mitra and Varuna, love and justice of the Supreme Lord, omniscient, omnipotent and father protector of the wise experts and scientists, for the attainment of knowledge, power and courage.