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ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 66 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 66/ मन्त्र 3
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - मित्रावरुणौ छन्दः - विराड्गायत्री स्वरः - षड्जः

    ता न॑: स्ति॒पा त॑नू॒पा वरु॑ण जरितॄ॒णाम् । मित्र॑ सा॒धय॑तं॒ धिय॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ता । नः॒ । स्ति॒ऽपा । त॒नू॒ऽपा । वरु॑ण । ज॒रि॒तॄ॒णाम् । मित्र॑ । सा॒धय॑तम् । धियः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ता न: स्तिपा तनूपा वरुण जरितॄणाम् । मित्र साधयतं धिय: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ता । नः । स्तिऽपा । तनूऽपा । वरुण । जरितॄणाम् । मित्र । साधयतम् । धियः ॥ ७.६६.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 66; मन्त्र » 3
    अष्टक » 5; अध्याय » 5; वर्ग » 8; मन्त्र » 3

    Meaning -
    O Mitra and Varuna, love and justice of the omnipotent lord of our choice, protectors, promoters and sanctifiers of the health and home of grateful celebrants and all mortal humanity, pray inspire, promote and accomplish our mind, intellect and will to the state of perfection.

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