Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 109 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 109/ मन्त्र 3
    ऋषिः - अग्नयो धिष्ण्या ऐश्वराः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - स्वराडार्चीगायत्री स्वरः - षड्जः

    ए॒वामृता॑य म॒हे क्षया॑य॒ स शु॒क्रो अ॑र्ष दि॒व्यः पी॒यूष॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒व । अ॒मृता॑य । म॒हे । क्षया॑य । सः । शु॒क्रः । अ॒र्ष॒ । दि॒व्यः । पी॒यूषः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एवामृताय महे क्षयाय स शुक्रो अर्ष दिव्यः पीयूष: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    एव । अमृताय । महे । क्षयाय । सः । शुक्रः । अर्ष । दिव्यः । पीयूषः ॥ ९.१०९.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 109; मन्त्र » 3
    अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 20; मन्त्र » 3

    Meaning -
    Thus for immortality, for great dominion and for highest ascension, may that pure, potent and celestial Soma presence flow and radiate as the sweetest taste of life.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top