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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 109 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 109/ मन्त्र 4
    ऋषिः - अग्नयो धिष्ण्या ऐश्वराः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - स्वराडार्चीगायत्री स्वरः - षड्जः

    पव॑स्व सोम म॒हान्त्स॑मु॒द्रः पि॒ता दे॒वानां॒ विश्वा॒भि धाम॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पव॑स्व । सो॒म॒ । म॒हान् । स॒मु॒द्रः । पि॒ता । दे॒वाना॑म् । विश्वा॑ । अ॒भि । धाम॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पवस्व सोम महान्त्समुद्रः पिता देवानां विश्वाभि धाम ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पवस्व । सोम । महान् । समुद्रः । पिता । देवानाम् । विश्वा । अभि । धाम ॥ ९.१०९.४

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 109; मन्त्र » 4
    अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 20; मन्त्र » 4

    Meaning -
    Flow forth and consecrate, O Soma presence of divinity, as great ocean of life, father, generator and sustainer of divinities and ultimate haven and home of all the worlds of existence.

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