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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 11 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 11/ मन्त्र 7
    ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    अ॒मि॒त्र॒हा विच॑र्षणि॒: पव॑स्व सोम॒ शं गवे॑ । दे॒वेभ्यो॑ अनुकाम॒कृत् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒मि॒त्र॒ऽहा । विऽच॑र्षणिः । पव॑स्व । सो॒म॒ । शम् । गवे॑ । दे॒वेभ्यः॑ । अ॒नु॒का॒म॒ऽकृत् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अमित्रहा विचर्षणि: पवस्व सोम शं गवे । देवेभ्यो अनुकामकृत् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अमित्रऽहा । विऽचर्षणिः । पवस्व । सोम । शम् । गवे । देवेभ्यः । अनुकामऽकृत् ॥ ९.११.७

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 11; मन्त्र » 7
    अष्टक » 6; अध्याय » 7; वर्ग » 37; मन्त्र » 2

    Meaning -
    O Soma, lord of eternal bliss, you eliminate the disturbance and negativities of the mind, you are the all-watching divine eye, pray flow in streams of joy and bring us peace and tranquillity of senses, mind and soul, O redeemer and giver of fulfilment to the holy and brilliant seekers of divinity.

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