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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 19 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 19/ मन्त्र 4
    ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    अवा॑वशन्त धी॒तयो॑ वृष॒भस्याधि॒ रेत॑सि । सू॒नोर्व॒त्सस्य॑ मा॒तर॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अवा॑वशन्त । धी॒तयः॑ । वृ॒ष॒भस्य॑ । अधि॑ । रेत॑सि । सू॒नोः । व॒त्सस्य॑ । मा॒तरः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अवावशन्त धीतयो वृषभस्याधि रेतसि । सूनोर्वत्सस्य मातर: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अवावशन्त । धीतयः । वृषभस्य । अधि । रेतसि । सूनोः । वत्सस्य । मातरः ॥ ९.१९.४

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 19; मन्त्र » 4
    अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 9; मन्त्र » 4

    Meaning -
    Just as females in season yearn for a darling off spring, so do the evolving forms of Prakrti, Mother Nature, inspired by desire, long for the life seed of the omnipotent father of universal life.

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