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  • यजुर्वेद - अध्याय 29/ मन्त्र 49
    ऋषिः - भारद्वाज ऋषिः देवता - वीरा देवताः छन्दः - विराडनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
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    ऋजी॑ते॒ परि॑ वृङ्धि॒ नोऽश्मा॑ भवतु नस्त॒नूः।सोमो॒ऽअधि॑ ब्रवीतु॒ नोऽदि॑तिः॒ शर्म॑ यच्छतु॥४९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ऋजी॑ते। परि॑। वृ॒ङ्धि॒। नः॒। अश्मा॑। भ॒व॒तु॒। नः॒। त॒नू। सोमः॑। अधि॑। ब्र॒वी॒तु॒। नः॒। अदि॑तिः। शर्म॑। य॒च्छ॒तु॒ ॥४९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ऋजीते परिवृङ्धि नोश्मा भवतु नस्तनूः । सोमोऽअधि ब्रवीतु नो दितिः शर्म यच्छतु ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    ऋजीते। परि। वृङ्धि। नः। अश्मा। भवतु। नः। तनू। सोमः। अधि। ब्रवीतु। नः। अदितिः। शर्म। यच्छतु॥४९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 29; मन्त्र » 49
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    Meaning -
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