Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 35/ मन्त्र 18
    ऋषिः - दमन ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - विराडनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    6

    परी॒मे गाम॑नेषत॒ पर्य॒ग्निम॑हृषत।दे॒वेष्व॑क्रत॒ श्रवः॒ कऽ इ॒माँ२ऽ आ द॑धर्षति॥१८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    परि॑। इ॒मे। गाम्। अ॒ने॒ष॒त॒। परि॑। अ॒ग्निम्। अ॒हृ॒ष॒त॒ ॥ दे॒वेषु॑। अ॒क्र॒त॒। श्रवः॑। कः। इ॒मान्। आ। द॒ध॒र्ष॒ति॒ ॥१८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परीमे गामनेषत पर्यग्निमहृषत । देवेष्वक्रत श्रवः क इमाँऽआ दधर्षति ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    परि। इमे। गाम्। अनेषत। परि। अग्निम्। अहृषत॥ देवेषु। अक्रत। श्रवः। कः। इमान्। आ। दधर्षति॥१८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 35; मन्त्र » 18
    Acknowledgment
    Top