Loading...

सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1699
ऋषिः - निध्रुविः काश्यपः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम -
3

प꣡व꣢माना असृक्षत꣣ सो꣡माः꣢ शु꣣क्रा꣢स꣣ इ꣡न्द꣢वः । अ꣣भि꣡ विश्वा꣢꣯नि꣣ का꣡व्या꣢ ॥१६९९॥

स्वर सहित पद पाठ

प꣡व꣢꣯मानाः । अ꣣सृक्षत । सो꣡माः꣢꣯ । शु꣣क्रा꣡सः꣢ । इ꣡न्द꣢꣯वः । अ꣣भि꣢ । वि꣡श्वा꣢꣯नि । का꣡व्या꣢꣯ ॥१६९९॥


स्वर रहित मन्त्र

पवमाना असृक्षत सोमाः शुक्रास इन्दवः । अभि विश्वानि काव्या ॥१६९९॥


स्वर रहित पद पाठ

पवमानाः । असृक्षत । सोमाः । शुक्रासः । इन्दवः । अभि । विश्वानि । काव्या ॥१६९९॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1699
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 8; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 16; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 18; खण्ड » 4; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
Acknowledgment

पदार्थ -
(पवमानाः) धारारूप में प्राप्त होने वाला (शुक्रासः) शुभ्र निर्मल अधर्माज्ञान दोषरहित (इन्दवः) आनन्दरसपूर्ण (सोमाः) शान्तस्वरूप परमात्मा७ (विश्वानि काव्या) सब वेदरूप काव्यों को८ अभिलक्षित कर—उनके अनुसार उपासित हो उपासक के अन्दर (असृक्षत) पहुँचता है॥१॥

विशेष - ऋषिः—निध्रुविः (नियत स्थिर वृत्ति वाला उपासक)॥ देवता—सोमः (शान्तस्वरूप परमात्मा)॥ छन्दः—गायत्री॥<br>

इस भाष्य को एडिट करें
Top