Loading...

सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1812
ऋषिः - जमदग्निर्भार्गवः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - द्विपदा गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम -
3

अ꣡सृ꣢ग्रं दे꣣व꣡वी꣢तये वाज꣣य꣢न्तो꣣ र꣡था꣢ इव ॥१८१२॥

स्वर सहित पद पाठ

अ꣡सृ꣢꣯ग्रम् । दे꣣व꣡वी꣢तये । दे꣣व꣢ । वी꣣तये । वाजय꣡न्तः꣢ । र꣡थाः꣢꣯ । इ꣣व ॥१८१२॥


स्वर रहित मन्त्र

असृग्रं देववीतये वाजयन्तो रथा इव ॥१८१२॥


स्वर रहित पद पाठ

असृग्रम् । देववीतये । देव । वीतये । वाजयन्तः । रथाः । इव ॥१८१२॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1812
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 9; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 17; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 20; खण्ड » 4; सूक्त » 4; मन्त्र » 3
Acknowledgment

पदार्थ -
(वाजयन्तः) उपासक के लिये अमृत अन्नभोग को चाहता हुआ३ परमात्मा (देववीतये) मुक्तात्माओं की तृप्ति जिसमें हो जाती है उस मुक्ति के लिये४ (असृग्रन्) धारारूप में प्राप्त होता है (रथाः-इव) रथों के समान जैसे रथ प्रवाहरूप से गति करता है तू भी कर॥३॥

विशेष - <br>

इस भाष्य को एडिट करें
Top