Loading...

सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1037
ऋषिः - मेधातिथिः काण्वः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम -
3

प꣡व꣢स्व देव꣣वी꣡रति꣢꣯ प꣣वि꣡त्र꣢ꣳ सोम꣣ र꣡ꣳह्या꣢ । इ꣡न्द्र꣢मिन्दो꣣ वृ꣡षा वि꣢꣯श ॥१०३७॥

स्वर सहित पद पाठ

प꣡व꣢꣯स्व । दे꣣ववीः꣡ । दे꣣व । वीः꣢ । अ꣡ति꣢꣯ । प꣣वि꣡त्र꣢म् । सो꣣म । र꣡ꣳह्या꣢꣯ । इ꣡न्द्र꣢꣯म् । इ꣣न्दो । वृ꣡षा꣢꣯ । वि꣣श ॥१०३७॥


स्वर रहित मन्त्र

पवस्व देववीरति पवित्रꣳ सोम रꣳह्या । इन्द्रमिन्दो वृषा विश ॥१०३७॥


स्वर रहित पद पाठ

पवस्व । देववीः । देव । वीः । अति । पवित्रम् । सोम । रꣳह्या । इन्द्रम् । इन्दो । वृषा । विश ॥१०३७॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1037
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 1; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment

Meaning -
O Soma, spirit of divinity, flow quick, purify our mind and senses, and fulfil our prayers for piety. Spirit of peace and spiritual joy in exuberance, bring us the glory of life and let it sanctify our heart and soul. (Rg. 9-2-1)

इस भाष्य को एडिट करें
Top